इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊभ पीठ ने कहा है कि आखिर उत्तर प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा (एचजेएस) परीक्षा के प्रश्न पत्र हिन्दी में भी क्यों नहीं बनाये जाते। अदालत को ऐसा न करने के पीछे कोई कारण समझ में नहीं आता। अदालत ने कहा कि हिन्दी में प्रश्न पत्र बनाने का मामला चूंकि विशेषज्ञता और विशेषज्ञों के मशविरे से जुडा है, इस संबंध में भविष्य के लिए उचित निर्णय लेने का अधिकार उच्च न्यायालय प्रशासन पर निर्भय है, जो भी हो इस संबंध में कोई भी निर्णय वर्ष 2016 की एचजेएस परीक्षा पर लागू नहीं होगा।
न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायमूर्ति राघवेन््रद कुमार की आवकाशकालीन खण्डपीठ ने वर्ष 2016 की एचजेएस परीक्षा में भाग लेने का इरादा रखने वाले एक अधिवक्ता की जनहित याचिका पर आज दिया है। याची का आग्रह था कि एचजेएस परीक्षा के प्रश्न पत्र अंग्रेजी के साथ ही हिन्दी में भी होने चाहिए और ऐसा नहीं होना संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन हैं। अदालत ने उक्त कथन के बाद याचिका निस्तारित कर दी।