प्रशांत किशोर की IPAC (इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी) से कड़वे अलगाव के बाद, भाजपा IPAC का अपना वर्जन बनाने की कोशिश कर रही है। ‘भारतीय मूल्यों के माध्यम से समकालीन भारत को आकार देने के लिए’ विकसित किए गए प्लेटफॉर्म ”भारत नीति” को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के चुनावी रथ में तब्दील कर दिया गया है। पार्टी ने सलाह दी है कि उसे अगले तीन महीनों में 50 जगहों पर सार्वजनिक कार्यक्रम करने चाहिए। इन कार्यक्रमों में मंत्रियों और पार्टी नेताओं को सरकार की नीतियों का प्रचार करने के लिए हिस्सा लेना चाहिए।
भाजपा को विश्वास है कि इससे उत्तर प्रदेश की जनता में केन्द्र सरकार की छवि बेहतर होगी जिसका फायदा चुनावों में हासिल होगा। चूंकि प्रशांत किशोर जैसा रणनीतिकार अब कांग्रेस के साथ है तो भाजपा ने भी उसी अंदाज में काम करने की सोची है।
प्रशांत किशाेर ने अपनी संस्था के जरिए भाजपा को 2014 में केन्द्र की सत्ता तक पहुंचाया था। अब भाजपा उसी करिश्मे को उत्तर प्रदेश में दोहराने की सोच रही है, मगर बिना कुमार प्रशांत के।