उत्तर प्रदेश के कासगंज में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के दिन फैली साम्प्रदायिक हिंसा में घायल हुए शख्स अकरम ने चार दिन बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि उसने सभी हमलावरों को माफ कर दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए अकरम ने कहा, “उस दिन मैं कासगंज से होते हुए अलीगढ़ जा रहा था, जहां मेरी पत्नी की डिलीवरी होने वाली थी लेकिन जैसे ही कासगंज पहुंचा वहां 100-150 लोगों ने अचानक मुझ पर हमला बोल दिया। हालांकि, उसी भीड़ में से कुछ लोग मेरे लिए फरिश्ता बनकर आए, उन लोगों ने मुझे उपद्रवी भीड़ से बचाया और जाने दिया। अब मैंने सब को माफ कर दिया है।” बता दें कि इस हमले में अकरम की दायीं आंख में गंभीर चोट आई है। अभी भी उसकी आंखें लाल है और इलाज चल रहा है। 35 वर्षीय अकरम हबीब लखीमपुर-खीरी में हार्डवेयर का स्टोर चलाते हैं।
हादसे के अगले ही दिन उनकी बेटी ने जन्म लिया। हबीब ने बताया था कि उन्होंने हिंसा के दिन कुछ लोगों से अलीगढ़ जाने का रास्ता पूछा था। इस पर भीड़ ने दाढ़ी देखी और मुसलमान जानकार पत्थरों और लाठियों से बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। बतौर अकरम हबीब उनके सिर पर बंदूक रख दी गई थी। उनकी जान केवल इसलिए बख्श दी गई थी क्योंकि उन्हें इनकी गर्भवती बीवी की बात सुनकर तरस आ गया था। हबीब की बीवी अनम इस दौरान चिल्लाती रही। हबीब ने दावा किया कि पुलिस ने मदद नहीं की और उन्हें घायल होने के बावजूद अपनी पत्नी को खुद कार चलाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ा।
बता दें कि 26 जनवरी को एबीवीपी ने कासगंज में तिरंगा यात्रा निकाली थी लेकिन कुछ दूर आगे बढ़ने के बाद ही रास्ते के विवाद पर दो समुदायों के बीच हिंसा फैल गई थी। इसमें चंदन गुप्ता नाम के एक छात्र की हत्या कर दी गई थी। इस घटना को राज्य के गवर्नर राम नाईक ने उत्तर प्रदेश का कलंक बताया है और इसे शर्मनाक करार दिया है। राज्यपाल ने कहा कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार इस मामले की जांच करवा रही है और सख्त कदम उठा रही है। राज्यपाल ने भरोसा जताया कि राज्य में दोबारा इस तरह की घटना ना हो इसके लिए सरकार जरूरी कदम उठाए।

