सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं, क्योंकि कभी उनके हम निवाला रहे दो नेता उनके खिलाफ तेवर दिखा रहे हैं। एक तरफ आजम खान हैं तो दूसरी तरफ ओपी राजभर। राजभर राज्यसभा की सीट चाहते हैं तो आजम कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने के अलावा अपनी पत्नी को रामपुर लोकसभा सीट पर होने वाले चुनाव में खड़ा करने को लेकर दबाव बना रहे हैं। वो गोलमोल बाते करते हैं।

हालांकि सिब्बल को राज्यसभा चुनाव में उतारकर आजम की एक मांग पूरी कर दी है। दूसरी का अभी तक पता नहीं। ध्यान रहे कि विधानसभा चुनाव के बाद खाली हुई दो लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। चुनाव आयोग ने यूपी की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट सहित पंजाब की संगरूर सीट पर भी तारीखों का ऐलान किया है। तीनों सीट पर 23 जून को वोट डालें जाएंगे। 26 को वोटों की गिनती होगी।

उधर, राजभर के सपा मुखिया अखिलेश यादव को लेकर तेवर तल्ख नजर आ रहे हैं। उन्होंने सोमवार को अखिलेश पर आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूरी मेहनत नहीं की। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सपा विधायकों के हंगामे को भी राजभर ने गलत बताया।

राजभर ने अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सफलता के लिए प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया, वरना सत्ता में होते। उन्होंने कहा कि 2024 के चुनावों में उत्तर प्रदेश में अच्छे प्रदर्शन के लिए हम प्रयारत हैं। असेंबली चुनाव में अखिलेश ने पूरी मेहनत नहीं की और अभी भी कमरे में ही बैठे हैं।

राज्यसभा में सपा की 5 सीटें जरूरी

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों पर होने वाले चुनाव में बीजेपी को 8 और समाजवादी पार्टी को 3 सीटें मिलना तय है। विधानसभा में बीजेपी गठबंधन के 273 और समाजवादी पार्टी गठबंधन के 125 विधायक हैं। राज्यसभा के लिए प्रदेश की 11 सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए नामांकन 31 मई तक दाखिल किए जा सकेंगे। चुनावी गणित के मुताबिक एक सीट के लिए 36 विधायकों का वोट जरूरी है।

भाजपा के पास 273 विधायक हैं। ऐसे में उन्हें 8 सीट जीतने में कोई परेशानी नहीं होगी। सपा के पास 125 विधायक हैं। इस आधार पर उसे 3 सीट जीतने में कोई दिक्कत नहीं है। राज्यसभा का गणित कहता है कि राजभर को अखिलेश चाहकर भी राज्यसभा की टिकट नहीं दे सकते। सदन में मान्यता हासिल करने के लिए सपा को कम से कम 5 सांसद चाहिए। उसके फिलहाल दो रामगोपाल और जया बच्चन हैं। तीन नेता जीतकर ऊपरी सदन पहुंचेंगे तभी सपा को सदन में सीटें और लोगों की आवाज उठाने का मौका मिलेगा।