सहारनपुर में यूपी-100 में तैनात हेड कॉन्स्टेबल भूपेन्द्र सिंह को जब सड़क पर पड़े एक घायल व्यक्ति की सूचना मिली तो उन्हें सपने में भी अंदाजा नहीं था कि ये एक छोटा सा मिशन उनके करियर के लिए कड़ी परीक्षा साबित होगी। एचसीपी भूपेन्द्र सिंह को मंगलवार दोपहर खबर मिली कि रामपुर मनिहारन क्षेत्र में हादसे में घायल एक शख्स सड़क पर पड़ा हुआ है। उसके शरीर से काफी खून निकल रहा है और उसे तुरंत इलाज की जरूरत है। भूपेन्द्र सिंह बिना देर किये पूरी टीम के साथ इस केस को अटेंड करने निकल पड़े। अभी वह छोड़ी ही दूर पहुंचे थे कि उनके मोबाइल फोन की घंटी घनघनाने लगी। भूपेन्द्र सिंह ने देखा तो यह उनकी पत्नी का फोन था। उन्होंने रिसीव बटन दबाया, आगे जो सूचना मिली वो उसे सुनकर भूपेन्द्र सिंह सन्न रह गये। उनकी पत्नी ने बताया कि जिस बेटी को उन्होंने एक साल पहले ही विदा किया था अब वह इस दुनिया में नहीं रही। उन्होंने बिना जवाब दिये फोन काट दिया।

पुलिस वैन चला रहे ड्राइवर भरत पांचाल ने फोन पर उनकी पत्नी की आवाज सुन ली। उन्होंने पूछा, “फोन पर रोने वाली महिला कौन थी” इस पर भूपेन्द्र सिंह ने उन्हें पूरी कहानी बतायी। उनकी बेटी की मौत की खबर सुनकर वैन में बैठे दूसरे पुलिसकर्मी चौक गये और उन्हें तुरंत वापस घर जाने की सलाह दी। लेकिन भूपेन्द्र सिंह ने अपना धैर्य नहीं खोया। उन्होंने सधे और नम आवाज में कहा, “मेरी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही, उसे हम नहीं बचा सके, लेकिन जो आदमी रास्ते में खून से लथपथ पड़ा है, उसकी जान हमें बचानी है।” भूपेन्द्र सिंह बिना देर किये कलेजे पर पत्थर रखकर घटनास्थल पहुंचे, वहां उन्होंने बिना एंबुलेंस का इंतजार किये घायल शख्स को वैन में ही डालकर प्राथमिक उपचार केन्द्र पहुंचे। लेकिन घायल का जख्म गहरा था, उसे बड़े अस्पताल की जरूरत थी। इस बार भूपेन्द्र उन्हें सहारनपुर के एक अस्पताल में भर्ती करवाये। अपनी ड्यूटी पूरी कर भूपेन्द्र सिंह आखिरकार घर पहुंचे।

भूपेन्द्र सिंह की ड्यूटी के लिए अटूट समर्पण भाव को यूपी पुलिस ने सैल्यूट किया है। यूपी पुलिस के डीजी ने उनसे बात की और उनका दुख बांटा। यहीं नहीं यूपी पुलिस ने उन्हें डी0जी0 कमाण्डेशन डिस्क से सम्मानित करने की घोषणा की है।