उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े प्रोडक्ट्स की बिक्री पर योगी सरकार बैन लगा सकती है। हलाल प्रोडक्ट से जुड़े मामला पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है। जानकारी के मुताबिक सीएम योगी ने इस मामले में संज्ञान लिया है और इसपर एक्शन की तैयारी है। यूपी सरकार हलाल सर्टिफिकेशन मामले में कड़े नियम बनाने की तैयारी में है और यह अवैध धंधे को लेकर लिया जा रहा है फैसला माना जा रहा है। प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
हलाल उत्पाद का क्या मतलब है?
हलाल एक अरबी शब्द है जिसका मतलब है अनुमति योग्य। हलाल सर्टिफाइड का मतलब है कि प्रोडक्ट्स इस्लामी कानून के मुताबिक स्वीकार किया गया हो। हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स से मुस्लिम उपभोक्ताओं को यह विश्वास हो जाता है कि वे जिन उत्पादों का उपयोग करते हैं वे उनकी संस्कृति और मान्यताओं के अनुरूप हैं।
दुनिया भर में लगभग 2 अरब मुसलमान हैं, जिनमें से लगभग 4 मिलियन लोग अमेरिका में रहते हैं। अमेरिका में बड़े पैमाने पर हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स की बिक्री होती है और यह दुनियाभर में भी पहुंचते हैं। अब हलाल की मांग और ज्यादा बढ़ने लगी है और भारत में भी बड़े पैमाने पर हलाल प्रोडक्ट बेचे जाते हैं।
क्यों मुद्दा बन रहा है यह मुद्दा?
प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। सीएम इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और पुलिस से बड़ी कार्रवाई करने को कह रहे हैं। अब बताया जा रहा है कि हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े उत्पादों पर प्रतिबंध लग सकता है। इससे पहले वंदे भारत एक्सप्रेस में हलाल चाय से जुड़ा एक मामला सामने आया था जहां कुछ यात्रियों ने सवाल उठाया था कि अगर उत्पाद अगर वेज है तो इसे क्यों हलाल सर्टिफिकेट के साथ बेचा जा रहा है, अगर यह सिर्फ मुसलमानों के लिए जरूरी है तो क्यों दूसरे धर्मों के लोग इसे लेकर बाध्य हों।