वाराणसी के ज्ञानवापी मंदिर में हुए सर्वे को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। इसको लेकर राजनीतिक दलों की तरफ से बयानबाजी जारी है जबकि, टीवी डिबेट्स में भी इस मुद्दे पर तीखी बहस हो रही है। सर्वे के दौरान मस्जिद परिसर में शिवलिंग पाए जाने के दावे को लेकर जारी बहस के बीच, सर्वे टीम के पूर्व सदस्य आरपी सिंह ने कहा कि एक भ्रम फैलाया जा रहा है कि शिवलिंग के ऊपर जो लगा है वह फव्वारा है। इस दौरान उन्होंने गोलकुंडा की खान से मिले हीरे की कहानी बताई।
इंडिया टीवी पर एक डिबेट के दौरान आरपी सिंह ने कहा, “18वीं सदी में गोलकुंडा की खान से बहुत ही दुर्लभ एक हीरा मिला था। वहां के ज्योतिषियों ने राजा को बताया कि यहां पर इस हीरे को रखना है तो यह बहुत नुकसान करेगा। इसको भोलेनाथ को अर्पित कर दिया जाए। काशी में इस हीरे को भगवान शंकर को अर्पित किया गया क्योंकि यह बहुत ही शापित हीरा था। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर ही इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं।”
उन्होंने आगे बताया, “उस वक्त यह हीरा यहां (काशी विश्वनाथ मंदिर) चढ़ाया गया था। पुजारियों ने उस हीरे को उसी शिवलिंग के ऊपर रखा था। हो सकता है कि हीरा रखने के लिए वह एक अतिरिक्त व्यवस्था की गई हो। क्योंकि 1669 में जब मंदिर को तोड़ा गया तो हीरा को उठाकर गहरे गड्ढे में फेंका गया था। इसका भी लिखित दस्तावेज और सबूत है।”
आरपी सिंह ने ‘फव्वारे” को लेकर चल रही बहस पर कहा, “जहां तक ‘फव्वारा’ का सवाल है तो इन्होंने शिवलिंग के स्वरूप को विकृत करने और पहचान छिपाने के कारण किसी और मटीरियल से शिवलिंग के ऊपर ऐसा आकार बनाकर रखा होगा। यह जांच का विषय है लेकिन यह साबित हो चुका है वह शिवलिंग ही है।”
उन्होंने कहा कि वे इसके दो प्रमाण दे सकते हैं। आरपी सिंह ने कहा, “जो शिवलिंग वहां प्राप्त हुआ है, वाराणसी के कई मंदिरों में उसी तरह के शिवलिंग हैं।” उन्होंने दावा किया, “वाराणसी स्थित कबीरनगर में शुक्लपुरा एक मोहल्ला है जहां शुक्लेश्वर महादेव हैं और वहां पर ठीक उसी तरह का शिवलिंग है।”