सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को वाराणसी जिला अदालत को ट्रांसफर कर दिया। कोर्ट के इस आदेश पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिना वजू के नमाज नहीं होती है। साथ ही उन्होंने प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट, 1991 को पूरी तरह लागू करने की मांग भी उठाई। इस मामले पर एक टीवी डिबेट के दौरान एआईएमआईएम प्रवक्ता और भाजपा के प्रवक्ता के बीच तीखी बहस देखने को मिली। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने तंज करते हुए कहा कि ओवैसी शरिया के एक्सपर्ट हो सकते हैं, भारतीय कानून के जानकार नहीं।
इंडिया टीवी पर डिबेट के दौरान हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता सोहनलाल आर्य ने कहा कि ये मस्जिद नहीं इनकी महाजिद है। वहीं, एंकर मीनाक्षी जोशी ने कोर्ट की उस टिप्पणी का हवाला देते हुए सवाल किया, जिसमें सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि धार्मिक स्थल की स्थिति जान लेने भर से धार्मिक कैरेक्टर चेंज नहीं हो जाता। एंकर ने पूछा कि ओवैसी ने इसका जिक्र क्यों नहीं किया।
वारिस पठान ने इस पर कहा, “सोहनलाल आर्य वही शख्स थे जो उस दिन सुबह बाहर आ गए और चिल्लाने लगे कि ‘बाबा मिल गए’, इन्होंने पूरी अफवाह फैला दी एक ऐसी लीक रिपोर्ट पर जो कोर्ट तक नहीं पहुंची थी। सुप्रीम कोर्ट ने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर मस्जिद के अंदर कोई चीज मिल गई तो आप कैरेक्टर चेंज कर दोगे क्या?”
भाजपा प्रवक्ता ने ओवैसी पर किया तंज: उन्होंने कहा कि राम मंदिर-बाबरी मस्जिद टाइटल सूट जब डिसाइड हो रहा था, उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह एक्ट संविधान का एक अटूट हिस्सा है। वारिस पठान ने सर्वे करने को गैरकानूनी बताया और कहा कि सर्वे करना ही क्यों है? वहीं, इस डिबेट के दौरान गौरव भाटिया ने ओवैसी पर तंज किया और कहा, “केवल बैरिस्टर बनने से आपको कानून समझ नहीं आएगा। ओवैसी शरिया के एक्सपर्ट हो सकते हैं लेकिन भारतीय कानून के जानकार नहीं, उनको जजमेंट और ऑर्डर का फर्क नहीं पता। वो कह रहे हैं कि कह रहे हैं ये जजमेंट है। ये तो ऑर्डर है, जजमेंट अभी नहीं आया है।”