उत्तर प्रदेश के ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे को लेकर हंगामा मचा हुआ है। कोर्ट के आदेश पर सर्वे शुरू हुआ लेकिन शुक्रवार को पहले दिन सर्वे होने के बाद दूसरे दिन शनिवार को सर्वे टीम के मस्जिद के अंदर जाने को लेकर खूब हंगामा हुआ। सर्वे करने वाली टीम और सर्वे के दौरान वीडियोग्राफी की टीम मस्जिद के बाहर पहुंची ही थी कि भारी विरोध के बाद टीम अन्दर नहीं जा पाई। वहीं, ये मामला सुर्खियों में छाया हुआ है।

सोमवार को टीवी चैनल टाइम्स नाउ नवभारत पर एंकर सुशांत सिंहा ने पूरी घटना का विश्लेषण किया। सुशांत सिन्हा ने 1937 के कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, “कोर्ट के फैसले के अनुसार मस्जिद के तहखाने का मालिकाना हक व्यास परिवार को दिया गया था। तब से वर्षों तक व्यास परिवार ही मस्जिद के तहखाने की देखरेख करता था। व्यास परिवार तहखाने में जाकर पूजा करता था। उस तहखाने में आज भी कई चीजों के मंदिर से जुड़ी होने का दावा किया जाता है।”

सुशांत सिन्हा ने कहा, “देश का सेक्युलर ब्रिगेड अब कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं करेगा। कभी मस्जिद पक्ष बहाना बनाता है कि मस्जिद के अंदर गैर मुस्लिम नहीं जा सकते तो कभी कहा जाता है कि मस्जिद के अंदर केवल मुस्लिम और सुरक्षा बल जा सकते हैं। वहीं, कभी मस्जिद पक्ष बहाना बनाता है कि एडवोकेट कमिश्नर पक्षपाती हैं, इसलिए उनको बदला जाए।”

सुशांत सिन्हा ने आगे कहा, “कई बार बहाना देने के बाद आज कोर्ट फैसला सुनाएगा कि अब कब सर्वे होगा? यानी सर्वे रुकेगा नहीं, बल्कि सर्वे होकर रहेगा। बस कोर्ट यह बताएगा कि सर्वे की अगली तारीख क्या होगी? एडवोकेट कमिश्नर को बदलने का इन्होंने जो बहाना बनाया है, वह बेतुका है। एडवोकेट कमिश्नर जब मस्जिद के अंदर गए ही नहीं तो वो पक्षपाती कैसे हो गए?”

26 अप्रैल को कोर्ट ने आदेश दिया था, “मुस्लिम पक्ष द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को देखने से स्पष्ट है कि उन्हें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि कमीशन की कार्रवाई न हो। इसमें सिर्फ उनके द्वारा दो बिन्दू उठाये गए हैं। 1- कितने लोगों को मस्जिद में प्रवेश दिया जाए? 2- कमीशन कार्रवाई के दौरान मौके का स्थल क्या होगा?” सुशांत सिन्हा ने कहा कि बाहर वो खूब ज्ञान दे रहे हैं लेकिन कोर्ट के अन्दर नहीं बोल रहे हैं, क्योंकि वो जानते हैं कि ये दलील उनकी टिकेगी ही नहीं।