Gyanvapi Survey: ज्ञानवापी परिसर में एएसआई का सर्वे को लेकर आज अहम दिन है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर आज सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट तय करेगा कि ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे होगा या नही। वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया था। इसकी रिपोर्ट 4 अगस्त पर जिला कोर्ट को देनी थी। एएसआई ने सोमवार से सर्वे भी शुरू किया लेकिन मुस्लिम पक्ष की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट में आज इन मामलों की होगी सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज एएसआई सर्वे और सिविल वाद की वैधता को लेकर दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई होनी है। यह मामला जस्टिस प्रकाश पाडिया की बेंच में दोपहर 12 बजे सुना जाएगा। 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज की ओर से एसआई सर्वे का आदेश दिया गया था। जिला कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे के आदेश के बाद मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट में वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। स्वयंभू आदि विशेश्वर नाथ मंदिर हिंदुओं की तरफ से पक्षकार हैं। वहीं, हिंदू पक्ष की तरफ से आज भी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन पैरवी करेंगे।

किस बात पर है विवाद?

बता दें कि स्कंद पुराण में उल्लेखित 12 ज्योतिर्लिंगों में से काशी विश्वनाथ को सबसे अहम माना जाता है। हिंदू पक्ष का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने बनाया था। इसके बाद 1669 में औरंगजेब ने इसे तोड़ दिया और इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बनवा दी। हिंदू पक्ष का दावा है कि इस मस्जिद को बनाने में मंदिर के अवशेषों का ही इस्तेमाल किया गया है।

हिंदू पक्ष की मांग है कि यहां से ज्ञानवापी मस्जिद को हटाया जाए और पूरी जमीन हिंदुओं को सौंपी जाए। दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष का दावा है कि आजादी से पहले से यहां नमाज पढ़ी जा रही है। ऐसे में इस मामले में 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट भी लागू होता है। इस कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 से पहले जो धार्मिक स्थल जिस रूप में था, वो उसी रूप में रहेगा। इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ या बदलाव नहीं किया जा सकता। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है।