उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बड़ा राजनीतिक फैसला लेते हुए दलित नेता और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण को रिहा करने का फैसला लिया है। चंद्रशेखर रावण पर योगी सरकार ने 2017 में सहारनपुर में हुए जातीय हिंसा में रासुका लगाया था। इसके बाद चंद्रशेखर रावण जेल में बंद हैं। चंद्रशेखर रावण को रिहा करने की मांग को लेकर उनकी मां राज्य सरकार से कई बार गुहार लगा चुकी है। इसके बाद राज्य सरकार ने ये फैसला लिय़ा है। चंद्रशेखर रावण को पहले 1 नवबंर तक जेल में रहना था, लेकिन उन्हें अब पहले रिहा किया जाएगा। चंद्रेशखर रावण पिछले 16 महीने से जेल में बंद हैं। सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने कहा कि चंद्रशेखर रावण को रिहा करने का आदेश सहारनपुर के जिलाधिकारी को भेज दिया गया है। रावण की रिहाई को योगी सरकार द्वारा दलित वोटों को साधने की कवायद के रुप में देखा जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस मामले में सोनू, सुधीर और विलास को पहले ही रिहा किया चुका है। अब सरकार ने रावण के अलावा दो अन्य आरोपियों सोनू और शिवकुमार को भी रिहा करने का फैसला किया है।

बता दें कि ये मामला सहारनपुर का है। यहां पर मई 2017 में शब्बीरपुर गांव में दलित और ठाकुर समुदाय के बीच जातीय तनाव हुआ था जो हिंसा में तब्दील हो गया था। इस मामले में चंद्रशेखर का नाम आया था। उत्तर प्रदेश पुलिस ने चंद्रशेखर रावण के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया। इसके बाद चंद्रशेखर रावण अंडरग्राउंड हो गये थे। कुछ महीने बाद यूपी एसटीएफ ने उन्हें हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया था। दो नवंबर 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘रावण’ को जमानत दे दी थी। इसके बाद  यूपी सरकार ने चंद्रशेखर रावण पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया था। इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को पहले तीन महीने के लिए अरेस्ट किया जा सकता है। फिर तीन-तीन महीने के लिए गिरफ्तारी बढ़ाई जा सकती है। गिरफ्तारी की अवधि एक बार में तीन महीने से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती है।