विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी को दलित बताया था। अब उत्तर प्रदेश के ही भाजपा एमएलसी बुक्कल नवाब ने बजरंगबली को मुस्लिम बताया है। उन्होंने मुस्लिमों में रखे जाने वाले नामों का उदाहरण भी दिया है। बीजेपी एमएलसी बुक्कल नवाब ने कहा, ‘हनुमान जी पूरे विश्व के थे। वह हर धर्म के थे, हर मजहब के थे। वह हर धर्म के प्यारे थे। जहां तक मेरा मानना है, हनुमान जी मुसलमान थे। हनुमान जी के मुसलमान होने के कारण ही हमारे धर्म में रखे जाने वाले नाम उनके नाम से मिलते जुलते हैं।’ उन्होंने कहा, हनुमान जी की वजह से मुस्लिमों में रहमान, रमजान, फरमान और जीशान जैसे नाम रखे जाते हैं। बुक्कल नवाब ने सवालिया लहजे में पूछा कि, हिंदुओं में बताइए कितने नाम हनुमान जी से मिलते जुलते रखे जाते हैं। उन्होंने कहा कि हनुमान जी से मिलते जुलते नाम सिर्फ मुस्लिमों में ही रखे जाते हैं।
#WATCH: BJP MLC Bukkal Nawab says “Hamara man’na hai Hanuman ji Muslaman theyy, isliye Musalmanon ke andar jo naam rakha jata hai Rehman, Ramzan, Farman, Zishan, Qurban jitne bhi naam rakhe jaate hain wo karib karib unhi par rakhe jaate hain.” pic.twitter.com/1CoBIl4fPv
— ANI (@ANI) December 20, 2018
बीते साल ही बुक्कल नवाब भाजपा में शामिल हुए थे। एमएलसी बनने के बाद बुक्कल नवाब ने लखनऊ के हजरतगंज में स्थित मशहूर हनुमान मंदिर गए और वहां पूजा-अर्चना भी की थी। इस दौरान बुक्कल नवाब भगवा रंग के कपड़ों में दिखाई दिए थे। उन्होंने मंदिर में तांबे का बड़ा घंटा भी दान दिया था। इस पर बुक्कल नवाब ने कहा था कि मुस्लिम होने के साथ ही वह हनुमान भक्त भी हैं। उन्होंने कहा था कि भगवान राम की तरह भगवान हनुमान भी उनके पूर्वज हैं।
बता दें कि, सीएम योगी द्वारा हनुमान जी को दलित और वंचित बताए जाने के बाद से इस मुद्दे पर विवाद शुरू हो गया था। योगी ने हनुमान जी को लेकर यह बयान राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार करते हुए दिया था। योगी का पूरा बयान था- ‘एक ऐसे लोक देवता हैं जो अब स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं। पूरे भारतीय समाज को उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक सबको जोड़ने का काम बजरंगबली करते हैं। इसलिए बजरंग बली का संकल्प होना चाहिए।’
योगी के इस बयान के बाद बवाल मचना शुरू हो गया। इसके बाद अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने हनुमान जी को जनजाति का बताया था। इसके बाद मंदिरों पर दलितों का दावा और हनुमान जी का जाति प्रमाण पत्र के प्रकरण सामने आए थे।