आजम खान समाजवादी पार्टी भले ही ना छोड़ने की बात कर रहे हों लेकिन इशारों ही इशारों अपनी नाराजगी जरूर दिखा दे रहे हैं। सपा के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि उन्हें शिकवा-शिकायत तो नहीं है लेकिन अफसोस जरूर है कि बदलाव न आ सका।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए आजम खान ने कहा कि वो हर शख्स का शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने उनके लिए दुआ की है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में जब अपने आप को सपा का कार्यकर्ता बताया तो रिपोर्टर ने कहा कि आप तो सपा के संस्थापक सदस्य है फिर कार्यकर्ता कैसे…? इस सवाल के जवाब में आजम खान ने कहा कि वो भूल गए थे कि वो संस्थापक सदस्य हैं। उन्होंने कहा- “आपने याद दिलाया तो याद आया…हां, रहा था मैं उस वक्त पार्टी में”।

मुकदमों के दौरान सपा की ओर से समर्थन ना मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वो जेल में थे, बाहर क्या हुआ कह नहीं सकते हैं। आजम खान ने कहा- “कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, न तो मुझे कोई शिकवा है, न शिकायत है। अफसोस है इस बात का कि बदलाव नहीं आ सका। कहां कमी रह गई हमसे, हम भी सोचेंगे। आखिर हमारी वफादारी में, मेहनत में, ईमान में… कहां कमी रह गई जो हम इस कदर घृणा का पात्र बन गए।”

आगे आजम खान ने कहा वो कोशिश करेंगे कि विधानसभा सत्र में भाग ले सकें। हालांकि मुकदमों और खराब स्वास्थ्य के कारण वो इसके बारे में कुछ कह नहीं सकते हैं।

बता दें कि आजम भले ही सपा से नाराज ना होने की बात कह रहे हों लेकिन उनकी नाराजगी रविवार को सामने आ ही गई। सपा विधायक दल की बैठक में ना तो वो पहुंचे और ना ही उनके विधायक बेटे। सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ​​ने इसे लेकर कहा- “आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला दोनों 23 मई को सत्र में भाग लेंगे। आजम खान, अखिलेश यादव के बाईं ओर बैठेंगे और मुद्दे उठाएंगे।”

रविदास मेहरोत्रा ने आजम के मीटिंग में शामिल ना होने को लेकर कहा कि वो स्वास्थ्य कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो सके हैं। हालांकि उनके बेटे क्यों नहीं आए, इसपर उन्होंने कुछ नहीं कहा।