यूपी के बरेली श्ाहर में एक और तीन तलाक पीड़िता का मामला सामने आया है। पीड़िता का आरोप है कि उसके शौहर ने उसे पहले तीन तलाक दे दिया था। लेकिन उसके ससुर ने बिना हलाला करवाए बहू को अपना लिया। इसके बाद जब वह गर्भवती हो गई तो शौहर ने उसे उसी हालत में तलाक देकर घर से निकाल दिया। अब महिला अपनी बेटी के लिए पांच सालों से गुजारा-भत्ता की मांग को लेकर जंग लड़ रही है। पीड़िता ने सामाजिक कार्यकर्ता फरहत नकवी से मदद मांगी है।
बरेली में फरहत नकवी के आवास पर पीड़िता ने प्रेस वार्ता में मीडिया को बताया कि उसका निकाह साल 2011 में जखीरा रेती निवासी फहीम से हुआ था। घरेलू बातों को लेकर साल 2014 में उसका अपने शौहर से झगड़ा हुआ। झगड़े के बाद शौहर ने उसके साथ मारपीट की। आरोप है कि मारपीट के बाद पीड़िता को तीन बार तलाक कहकर घर से निकाल दिया गया। पीड़िता इस घटना के बाद अपने मायके में जाकर रहने लगी।
पीड़िता ने मीडिया से कहा कि तीन तलाक के दो-चार दिन बाद ही उसके ससुर ने उसे बुलवा लिया। ससुर ने शौहर फहीम के साथ बिना हलाला करवाए ही दोबारा निकाह करवा दिया। उनका तर्क था कि इससे जो भी पाप होगा उसे वह अपने सिर लेते हैं। लेकिन वह अपनी बहू को हलाला के लिए नहीं भेजेंगे। ससुर के दखल के बावजूद शौहर ने निकाह के तीन दिन बाद ही उसके साथ फिर से मारपीट की। मारपीट के बाद ससुर ने कहा कि ये निकाह गलत हो गया है।
ससुर ने फैसला किया कि पीड़िता का निकाह अब उसके शौहर के बड़े भाई के साथ करवा दिया जाए। पीड़िता के मुताबिक जब उसने इस फैसले का विरोध किया तो उसे फिर से तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया गया। जबकि बेटे को शौहर ने अपने पास ही रख लिया। पीड़िता अपने माता-पिता के घर आकर रहने लगी। वहीं पर उसने अपनी बेटी को जन्म दिया। अब पीड़िता ने अपने ससुरालीजनों के खिलाफ कोर्ट में घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करवाया है। जबकि उसकी मांग है कि शौहर बेटी के पालन-पोषण का खर्च भी अदा करे। पीड़िता पांच सालों से इसी मांग को लेकर दर-दर भटक रही है। सामाजिक कार्यकर्ता फरहत नकवी ने मीडिया के सामने उसे इंसाफ का भरोसा दिलाया है।