इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव गुप्ता ने बुधवार को पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी (वर्तमान में बांदा जेल में) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस राजीव गुप्ता ने मुख्तार अंसारी के दो मामलों से खुद को अलग किया है। अब ये दोनों मामले इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भेज दिए गए हैं। वह ये दोनों मामलों अब किसी अन्य बेंच को सौपेंगे।
मुख्तार अंसारी पूर्व एमएलए हैं। उत्तर प्रदेश के मऊ सदर निर्वाचन क्षेत्र से 1996 से मार्च, 2022 तक विधायक रहे।
क्या है पूरा मामला
जिन दो मामलों से जस्टिस राजीव गुप्ता ने खुद को अलग किया है। उनमें एक मामला 2012-2013 में विधायक निधि में हुए भ्रष्टाचार से संबंधित है। इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्तार अंसारी ने चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की है।
मुख्तार अंसारी के वकील की ओर से कहा गया कि वह 17 सालों से जेल में कैद है। मुख्तार अंसारी ने विधायक निधि से जिन स्कूलों को पैसे दिए जाने के लिए सिफारिशें की थीं, उसके बारे में जांच करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है, जेल में रहते हुए मुख्तार अंसारी कैसे यह पता लगा सकते हैं कि कहां पर पैसे का दुरुपयोग हुआ।
मुख्तार अंसारी की ओर से विधायक निधि के संबंध में राज्य सरकार के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि इस ऑर्डर में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि जिले का चीफ डिवेलपमेंट अफसर ही राशि के वितरण के लिए जिम्मेदार है। विधायक केवल सिफारिश ही कर सकता है, जो कि मुख्तार अंसारी ने किया है।
मुख्तार अंसारी के जिस दूसरे मामले से जस्टिस राजीव गुप्ता ने खुद को अलग किया है, वह आजमगढ़ के तिर्वा थाने का है। यहां पर मुख्तार के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज है, इस मामले में मुख्तार अंसारी की ओर से जमानत याचिका लगाई गई थी, लेकिन अब जज के सुनवाई से इनकार करने के बाद यह मामला टल गया है। अब नई बेंच को मामला सौंपा जाएगा, जिसके बाद इस मामले में मुख्तार अंसारी की जमानत पर सुनवाई हो सकेगी।