उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थानीय प्रशासन से अपनी फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए बहुत कम समर्थन मिलने के कारण शहर के बरौली अहीर ब्लॉक के गांवों में करीब 500 लोगों ने अपनी कृषि भूमि के आसपास कांटेदार बाड़ लगाने के लिए एक करोड़ रुपए जुटाए हैं। कुंडुल गांव के प्रमुख नीरु प्रधान ने बताया, ‘हम में से सभी ने करीब बीस हजार रुपए खर्च किए और करीब 700 हैक्टेयर भूमि पहले ही कवर्ड की जा चुकी है। आवारा पशु पहले ही करीब तीस फीसदी रबी की फसल बर्बाद कर चुके हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में किसानों को आवारा पशुओं के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। पशु फसल को बर्बाद कर रहे हैं। कई जिलों में बहुत से पशुओं को स्कूल परिसर में बंद कर दिया गया। मगर समस्या अभी भी वही है। कुंडुल गांव मे करीब 1,200 परिवार रहते हैं और इनकी तकरीबन 840 हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। गांव के निवासियों ने बताया कि आवारा पशुओं की गांव में अचानक बढ़ोतरी होने के बाद से यह समस्या पैदा हो गई है।’ ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अपनी फसल बचाने के लिए पूरी रात कड़ाके की ठंड में खड़े होकर गुजारनी पड़ती है। हालांकि अब कुंडुल गांव के किसानों की तरह अन्य गांवों के किसान ऐसी ही किसी योजना पर काम कर रहे हैं।
प्रधान में बताया, ‘आवारा पशुओं को हमारे खेतों में घुसने से रोकने के लिए, बाउंड्रियों पर खंभों का इस्तेमाल कर तंग कांटेदार तारें लगाई गईं। इसमें करीब 500 किसानों के तकरीबन एक करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।’ ग्रामीणों के मुताबिक एक बीघा बाड़ में करीब चार हजार रुपए खर्च हुए हैं। गांव के ही एक किसान दिनेश चंद ने बताया, ‘हमारी फसल बर्बादी की एक प्रमुख वजह आवारा पशु हैं। लगातार शिकायतों के बाद भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की तो गांव के अन्य किसानों की तरह बाड़बंदी के लिए मैंने भी बीस हजार रुपए दिए। सरकार को गांवों में पशु आश्रय विकसित करने चाहिए।’ एक अन्य किसान माता प्रसाद ने बताया कि पिछले साल आवारा पशुओं की वजह से करीब 30 फीसदी फसल बर्बाद हो गई। नुकसान से बचने का बाड़बंदी ही एकमात्र विकल्प रह गया था। कुछ किसानों ने गरीब पृष्ठभूमि से आने के बाद भी नुकसान से बचने के लिए बाड़बंदी के लिए पैस दिए।
जानना चाहिए कि योगी सरकार आवारा पशुओं के लिए राज्य के हर जिले में पशु गोशाला बनाने जा रही है। कैबिनेट से बकायदा इसके लिए मंजूरी भी मिल गई है। इसके लिए तीन तरह के टैक्स लगाए गए। इसके तहत 0.5 फीसदी एक्साइज आइटम पर, 0.5 फीसदी टोल टैक्स यूपी एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी से और 2 फीसदी मंडी परिषद की ओर से टैक्स वसूला जाएगा।