उत्तर प्रदेश राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। योगी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के कैशलेस इलाज की योजना को मंजूरी दे दी है और यह योजना अप्रैल से अंत से लागू हो सकती है। इस योजना का लाभ यूपी में करीब 20 लाख सरकारी कर्मचारियों समेत उन पर आश्रित करीब 88 लाख परिवारजनों को मिलेंगा। इस योजना की खास बात यह है कि कर्मचारी सरकारी अस्पतालों में इलाज की राशि को लेकर कोई भी बाध्यता नहीं है लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में केवल 5 लाख रुपए तक का इलाज करा सकेंगे।  

कर्मचारियों को उठानी पड़ती थी परेशानियां: कैशलेस इलाज न होने की वजह से कर्मचारियों को रिम्बर्समेंट के लिए विभाग, अस्पताल और सीएमओ के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं कई बार बिलों में कटौती को लेकर भी विवाद हो जाता था जिसके चलते कर्मचारियों की लंबे समय से कैशलेस इलाज की मांग कर रहे हैं।

इस योजना का लाभ सरकारी कर्मचारी के अलावा पेंशनभोगियों को भी मिलेगा। इसके लिए सभी को सरकार की तरफ से एक हेल्थ कार्ड दिया जाएगा। योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सरकारी एजेंसी सांची को दी गई है। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग 200 करोड़ और चिकित्सा विभाग को 100 करोड़ रुपए का फंड भी मिलेगा। इस योजना में 1004 सरकारी हॉस्पिटल और 1504 निजी अस्पतालों को जोड़ा गया है।

स्टेट हेल्थ एजेंसी की सीईओ संगीता सिंह ने बताया कि कर्मचारी व पेंशनभोगियों को कैशलेस इलाज मुहैया कराने की तैयारी चल रही है। इसके लिए पैसे का भुगतान सांची के द्वारा किया जाएगा। यह पैसा आयुष्मान योजना के तय पैकेज के अनुसार मिलेगा।

यूपी में बदलेगी सरकारी अस्पतालों की सूरत: उत्तर प्रदेश में सरकार अस्पतालों की हालत को दुरुस्त करने के लिए योगी सरकार की ओर से प्रदेश के सभी अपर निदेशकों, सीएमओ और सीएमएस को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की अस्पतालों में पूरे समय मौजूद रहना चाहिए। इसके साथ प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रिजेश पाठक भी अस्पतालों का दौरा कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के डीजी हेल्थ का कहना है कि सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को सुधारा जा रहा है। डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की अस्पतालों में पूरे समय मौजूद रहने और इसकी निगरानी करने के आदेश दिए जा चुके हैं।