उत्तर प्रदेश की मऊ सदर सीट से विधायक रहे अब्बास अंसारी की विधायक सदस्यता खत्म हो गई है। अब्बास अंसारी को अधिकारियों को धमकी देने के मामले में 2 साल की सजा एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाई थी। अब सजा मिलने के बाद अब्बास अंसारी की विधायकी भी खत्म हो गई है। अब्बास माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे हैं। यानी अब मऊ सदर सीट पर विधानसभा उपचुनाव होगा।
मुख्तार का गढ़ रहा है मऊ
मऊ विधानसभा सीट पर 1996 से अंसारी परिवार का कब्जा है। मुख्तार अंसारी ने 1996 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मऊ सदर से पहली बार जीत हासिल की थी। उसके बाद वह लगातार चार बार फिर से विधायक चुने गए। इसमें दो बार निर्दलीय और एक बार अपनी पार्टी कौमी एकता दल के टिकट पर अब्बास अंसारी विधायक चुने गए थे। 2017 के विधानसभा के चुनाव में अब्बास अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी से टिकट लेकर लड़ा था और जीत हासिल की थी।
मुख्तार अंसारी पर पहली बार 1986 मुकदमा दर्ज किया गया था। मुख्तार अंसारी का खौफ पूर्वांचल में ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में बढ़ता चला गया। उत्तर प्रदेश के बाहर भी उसका खौफ था। मुख्तार अंसारी के कई शूटर थे, जो वारदातों को अंजाम देते थे। बाद में मुख्तार को लगने लगा कि अब राजनीति में भी उसे कदम रखना पड़ेगा, ताकि उसे संरक्षण मिलता रहे।
1996 में पहली बार मुख्तार ने जीता था चुनाव
इसी क्रम में मुख्तार अंसारी ने 1996 में पहली बार बसपा से टिकट लिया और मऊ सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। मुख्तार अंसारी ने इस चुनाव में जीत हासिल की और यहीं से उसका सियासी सफर शुरू हो गया। इसके बाद मुख्तार अंसारी कभी चुनाव नहीं हारा। 2002 के चुनाव में मुख्तार ने निर्दलीय ताल ठोकी और जीत गया। 2007 के विधानसभा चुनाव में भी मुख्तार ने निर्दलीय जीत हासिल की थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार ने अपनी पार्टी कौमी एकता दल से लड़कर जीत हासिल की, जबकि 2017 में उसने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की। 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी और उसके बाद से मुख्तार अंसारी और उसके परिवार के बुरे दिन शुरू हो गए।
बेटे अब्बास अंसारी को मुख्तार ने सौंपी विरासत
मुख्तार जेल गया तो 2022 में उसने अपनी विरासत अपने बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी। अब्बास अंसारी ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर मऊ से जीत हासिल की। हालांकि विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अब्बास ने अधिकारियों को धमकी दी थी, जिसको लेकर मऊ कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। अब इस मामले में फैसला आया है।
अब जब अब्बास अंसारी की विधायकी समाप्त हो गई है और मुख्तार का निधन हो चुका है, तब बड़ा सवाल उठता है कि आखिर मुख्तार की विरासत कौन संभालेगा? अब्बास अंसारी के छोटे भाई उमर अंसारी को इस मामले में बरी कर दिया गया है। माना जा रहा है कि अगर मऊ सदर सीट पर उपचुनाव होता है तो उमर अंसारी समाजवादी पार्टी से टिकट लेकर उम्मीदवारी पेश कर सकते हैं। लेकिन उनके लिए स्थिति इतनी आसान भी नहीं होगी।
योगी सरकार ने शुरू की थी कार्रवाई
मुख्तार पर तेजी से कार्यवाही योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद शुरू हुई। 2017 के बाद एक के बाद एक मुख्तार के खिलाफ दर्ज मुकदमों की कोर्ट में पैरवी शुरू हो गई। वहीं मुख्तार की अवैध संपत्ति पर भी बुलडोजर एक्शन शुरू हो गया। मुख्तार अंसारी 2019 तक बांदा जेल में बंद था। जब उसे उत्तर प्रदेश में दिक्कत होनी शुरू हुई तो उसने अपनी सुरक्षा को खतरा बताते हुए यूपी से बाहर जेल ट्रांसफर की अर्जी लगा दी। बाद में उसे पंजाब जेल में ट्रांसफर कर दिया गया लेकिन योगी सरकार उसे वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। यूपी की जेल में वह नहीं आना चाहता था और उसने सुप्रीम कोर्ट तक में अपील कर दी।
मुख्तार अंसारी का बेटा हेट स्पीच मामले में दोषी करार, कोर्ट ने सुनाई 2 साल की सजा
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की जीत हुई और मुख्तार को बांदा जेल लाया गया। हालांकि इसके बाद मुख्तार अक्सर जेल प्रशासन पर सवाल उठता था। मुख्तार के खिलाफ कुल 65 मामले दर्ज थे और उसके 250 से अधिक सहयोगियों के खिलाफ भी ताबड़तोड़ एक्शन हुआ था। मुख्तार अंसारी के कई शूटर भी यूपी पुलिस द्वारा मारे जा चुके थे।
जब्त हुई संपत्ति
सरकार के एक्शन के कारण मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों से संबंधित 600 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति भी जब्त की जा चुकी है। मुख्तार के पूरे परिवार पर कई मुकदमे दर्ज हैं। मुख्तार के भाई शिबगतुल्लाह अंसारी के खिलाफ तीन मामले दर्ज हैं तो वहीं उसके दूसरे बड़े भाई अफजाल अंसारी के खिलाफ 7 मुकदमे दर्ज हैं। हालांकि अफजाल गाजीपुर से सपा के लोकसभा के सांसद हैं।
मुख्तार अंसारी की मौत मार्च 2024 में बांदा जेल में हुई थी। मुख्तार के परिवार का आरोप है कि जेल में उसे धीमा जहर दिया जा रहा था और इसकी शिकायत मुख्तार ने परिवार से की भी थी। परिवार का दावा है कि मुख्तार का पोस्टमार्टम ढंग से नहीं किया गया था।
मुख्तार अंसारी की पत्नी अफ़्शा अंसारी के खिलाफ भी आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। वहीं अब्बास अंसारी की पत्नी निखत के खिलाफ भी आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। इतना ही नहीं अब्बास अंसारी की पत्नी निखत के खिलाफ भी मामला दर्ज है। वहीं मुख्तार के दूसरे बेटे उमर के खिलाफ थी कई केस चल रहे हैं।
बड़ा सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चक्रव्यूह से अंसारी परिवार निकल पाएगा? पूरे अंसारी परिवार पर कई मुकदमे दर्ज हैं। माना जा रहा है कि अगर मऊ सीट पर चुनाव होता है तो उमर अंसारी को अंसारी परिवार चुनाव लड़ा सकता है। उमर अंसारी अभी जेल से बाहर हैं। हालांकि उनके खिलाफ भी कई मुकदमे दर्ज है। अगर किसी मुकदमे में फैसला आया तो उमर अंसारी की भी मुश्किलें बढ़ेगी और परिवार पर सियासी वजूद का संकट मंडराएगा।
योगी के चक्रव्यूह से निकलना मुश्किल
मुख्तार अंसारी की मौत मार्च 2024 में बांदा जेल में हुई थी। मुख्तार के परिवार का आरोप है कि जेल में उसे धीमा जहर दिया जा रहा था और इसकी शिकायत मुख्तार ने परिवार से की भी थी। परिवार का दावा है कि मुख्तार का पोस्टमार्टम ढंग से नहीं किया गया था।