उत्तर प्रदेश में जीवन बीमा के नाम पर करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया। दो जालसाज नकली कागजातों के आधार पर मुर्दों का बीमा करवाते और फिर कुछ दिन बाद उन्हें मृत दिखाकर क्लेम की रकम डकार जाते। यह फंडा अपनाकर उन्होंने दर्जन भर बीमा कंपियों को चपत लगाई और तकरीबन दो करोड़ रुपए से अधिक की कमाई कर ली। आरोपियों ने फर्जीवाड़े के इन पैसों से एक होटल और शोरूम भी खोले थे। जांच-पड़ताल के बाद पुलिस ने उन दोनों को धर दबोचा और मामले का भंडाफोड़ किया।
जल्दी बनना चाहता था अमीरः मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला बरेली का है। आरोपियों की शिनाख्त शाकिब और शकील के रूप में हुई है। साल 2015 में शाकिब कम वक्त में अमीर बनना चाहता था। उसने इसके लिए बीमा कंपनी के एजेंट संग साजिश रची। वे लोग मिलकर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाते और मुर्दों का बीमा करवाकर क्लेम हड़प लेते।
स्टील वर्क्स का शोरूम भी चालू कियाः वारदात को अंजाम देते-देते तीन साल हो गए। वह अब बड़ा कारोबारी बन चुका था। फर्जी बीमा के क्लेम से आए पैसों से उसने वहां सैटेलाइट बस स्टैंड के नजदीक होटल खोला, जबकि कुछ दिन बाद एक स्टील का शोरूम भी चालू किया। रिपोर्ट की मानें तो 23 जुलाई 2018 को रिलायंस निप्पोन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के कार्यकारी क्षेत्रीय प्रबंधक अमित सक्सेना ने मृतक शोएब की मां शहनाज पर फर्जीवाड़े का मामला दर्ज कराया। बताया- शोएब ने 9.90 लाख रुपए का बीमा कराया था। आठ मार्च 2016 को उसकी पालिसी दर्ज हुई।
अधिकारी रह गए हैरानः कंपनी के एडवाइजर शेर बहादुर ने बीमा कार्रवाई पूरी की। शोएब को 50 दिन में मृतक घोषित कर शहनाज ने बीमा का दावा पेश किया। सेल्स प्रबंधक जितेंद्र तिवारी के सामने उन्होंने 12 मई 2017 को बीमा के करीब 10 लाख रुपए मांगे। पर शोएब की मौत पहले ही हो गई थी, ये बात कंपनी अधिकारियों को मालूम पड़ी तो वे हक्के-बक्के रह गए।
पहली किस्त खुद भरता था आरोपीः फिर कंपनी के फ्रॉड कंट्रोल यूनिट ने मामले की जांच की। खुलासा हुआ कि शोएब की मौत के बाद शहनाज ने ठिरिया के शाकिब के जरिए बीमा कराया था। बीमा की किस्तें शाकिब ने भरी थीं और उसका नरियावल में स्टील, ग्रिल वर्क्स की दुकान है। शोएब के नाम से भारतीय जीवन बीमा (एलआईसी) में भी 9.90 लाख रुपए का बीमा हुआ। आरोपी मुर्दे का बीमा कराने के दौरान पहली किस्त (50 हजार) की खुद भरता था। शोएब की मौत के तीन माह बाद उसका बीमा हुआ था। जनवरी 2016 उसका देहांत हुआ था, जबकि तीन महीने बाद अप्रैल 2016 में उसे जीवित दिखाया गया और बीमा करा दिया गया।
दो करोड़ से अधिक की लगाई चपत!: पूछताछ में शाकिब ने कबूला कि उसने दर्जन भर बीमा कंपनियों को लगभग दो करोड़ से अधिक की चपत लगाई। वहीं, अधिकारियों को शक है कि ये रकम और भी हो सकती है। मामले के खुलासे के दौरान सीओ सिटी कुलदीप कुमार बोले कि यह गैंग और जिलों तक फैला हुआ था। अभी और नाम सामने आएंगे। पुलिस का कहना है कि आरोपियों की संपत्ति जब्त की जाएगी।