माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को हाई कोर्ट से राहत मिल गई लेकिन अभी भी उनकी विधायकी पर संकट के बादल छाए हैं। हाई कोर्ट ने अब्बास अंसारी की सजा पर रोक लगा दी है लेकिन सचिवालय ने अभी भी उनकी सीट को रिक्त घोषित किया हुआ है। अब्बास अंसारी 2022 में मऊ विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अधिकारियों को धमकी दे दी थी, जिसके बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

इसके बाद एमपी/एमएलए कोर्ट ने अब्बास अंसारी को 2 साल सजा सुनाई थी। सजा के बाद उनकी विधायकी खत्म हो गई थी और सचिवालय ने सीट को रिक्त घोषित कर दिया था। सचिवालय ने इसकी कॉपी भी चुनाव आयोग को भेज दी थी ताकि सीट पर चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाए।

कोर्ट से अब्बास को उम्मीद

हालांकि अभी तक सजा पर रोक लगने के बावजूद अब्बास अंसारी की विधायकी पर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं बनी है। अब्बास अंसारी की ओर से अभी तक कोई एप्लीकेशन भी विधानसभा अध्यक्ष या सचिवालय को नहीं सौंपा गया है। ऐसे में अगर एप्लीकेशन आता भी है तो भी अब विधानसभा अध्यक्ष या सचिवालय इस सीट पर कोई फैसला नहीं ले सकता। यानी अब अब्बास अंसारी की सदस्यता बहाली पर फैसला कोर्ट ही दे सकता है।

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किन धाराओं के तहत दोषी ठहराए गए थे अब्बास?

एमपी/एमएलए कोर्ट कोर्ट ने अब्बास अंसारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 189, 153A, 171F और 506 के तहत दोषी माना था। अब्बास अंसारी को धारा 189 और 153A के तहत 2 साल की सजा सुनाई गई थी। जबकि 171F के तहत 6 महीने की सजा और धारा 506 के तहत 1 साल की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने कहा था कि यह सारी सजाएं एक साथ चलेंगी। वहीं इस मामले में अब्बास अंसारी के छोटे भाई उमर अंसारी को भी आरोपी बनाया गया था, जिन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया।

अब्बास अंसारी वर्तमान में विपक्ष में हैं लेकिन तकनीकी रूप से वह सत्ता पक्ष की ही एक विधायक हैं। दरअसल 2022 के विधानसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का सपा के साथ गठबंधन था और अब्बास उसी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। हालांकि उसके बाद सुभासपा एनडीए में शामिल हो गई। ऐसे में अब्बास अभी भी सुभासपा के ही विधायक हैं।