Punjab News: पंजाब में आम आदमी पार्टी के दो विधायकों की गिरफ्तारी के बाद राज्य में विपक्षी दलों ने भगवंत मान सरकार पर हमला बोला है। हालांकि, सत्तारूढ़ दल ने कहा कि वह गलत कामों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के लिए प्रतिबद्ध है। सनौर से आप विधायक हरमीत सिंह पठानमाजरा गिरफ्तार किए जाने के बाद से फरार हैं। एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स विधायक की तलाश में जुटी है।

पठानमाजरा की गिरफ्तारी पंजाब में बाढ़ राहत कार्यों को लेकर मान सरकार पर निशाना साधने और उस पर लालफीताशाही, अक्षमता और उपेक्षा का आरोप लगाने के एक दिन बाद हुई है। सोमवार को, जब उन्होंने अपने साथी विधायकों और मुख्यमंत्री मान से पार्टी के दिल्ली नेतृत्व के दखल का विरोध करने का आग्रह किया, तो सरकार ने उनकी सिक्योरिटी वापस ले ली।

बुधवार को पठानमाजरा ने एक वीडियो जारी किया और पुलिस पर उन्हें फर्जी मुठभेड़ में खत्म करने की योजना बनाने का आरोप लगाया। विधायक मान की पत्नी गुरप्रीत कौर की बुआ के पति हैं। आप प्रवक्ता बलतेज सिंह पन्नू ने सरकार का बचाव करते हुए कहा, “आप के वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा ठुकराए जाने के बाद ही विधायक ने आलोचना शुरू की। उन्हें अपने खिलाफ रेप की शिकायत के बारे में पता चला और वे मदद के लिए दिल्ली नेतृत्व के पास पहुंचे। जब उन्हें कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखी, क्योंकि केजरीवाल समझौता नहीं करते, तो उन्होंने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।”

रमन अरोड़ा को गिरफ्तार किया गया

गुरुवार को आम आदमी पार्टी के जालंधर (सेंट्रल) विधायक रमन अरोड़ा पर भी जबरन वसूली के एक नए मामले में मामला दर्ज कर उन्हें जालंधर में गिरफ्तार कर लिया गया। 23 मई को सरकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके लोगों को ठगने के आरोप में अरोड़ा को गिरफ्तार किया गया था। उस समय, आप ने X पर पोस्ट किया था, ” भगवंत मान सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, आप के भीतर भी नहीं। विजिलेंस ने फर्जी नगर निगम नोटिस, जबरन वसूली और डिजिटल घोटालों को लेकर विधायक रमन अरोड़ा पर छापे मारे। असली जवाबदेही ऐसी ही होती है।”

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यहां तक कि मान ने भी एक वीडियो मैसेज में भ्रष्टाचार पर सरकार के रुख को दोहराते हुए कहा, “भ्रष्टाचारियों पर कोई रहम नहीं। भ्रष्टाचार पर हमारी नीति बिल्कुल स्पष्ट है। चाहे कोई अपना हो या बाहरी, किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई ज़रूर की जाएगी।” उस समय, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना ​​था कि अरोड़ा बीजेपी के प्रति अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं और पार्टी छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।”

इन आप नेताओं पर भी हुई कार्रवाई

जून के आखिर में अमृतसर (नॉर्थ) से विधायक और पूर्व आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह को पार्टी से पांच साल के लिए निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ एक मामले में सरकार के रवैये पर सवाल उठाए थे। मजीठिया को कथित आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने पार्टी पर एक दशक पुराने बरगाड़ी बेअदबी मामले में कार्रवाई न करने का भी आरोप लगाया था।

फरवरी 2023 में, बठिंडा ग्रामीण के विधायक अमित रतन कोटफत्ता को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। विजिलेंस ब्यूरो ने कोटफत्ता के एक सहयोगी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 4 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में मामला दर्ज किया था। बाद में विधायक को तब गिरफ्तार किया गया जब उनके सहयोगी ने विजिलेंस ब्यूरो को कथित तौर पर बताया कि रिश्वत उनके लिए थी। उसी मई में, कोटफत्ता को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।

मई 2022 में, मानसा विधायक और कैबिनेट मंत्री विजय सिंगला को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया और सरकार से बर्खास्त कर दिया गया। उन पर अपने विभाग से संबंधित टेंडर आवंटन और सामान की खरीद में 1% मांगने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, इसी जून में, विजिलेंस ब्यूरो ने पूर्व मंत्री को क्लीन चिट देते हुए एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी।

कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी पर साधा निशाना

पठानमाजरा और अरोड़ा से जुड़े हालिया मामलों के बाद कांग्रेस ने आप पर निशाना साधा। विपक्ष के नेता प्रताप बाजवा ने कहा, “आप विधायक पठानमाजरा के खिलाफ दर्ज की गई चौंकाने वाली एफआईआर न केवल सत्तारूढ़ दल के नैतिक और कानूनी पतन को उजागर करती है, बल्कि भगवंत मान के नेतृत्व में न्याय के पूर्ण पतन को भी उजागर करती है। एफआईआर से ही स्पष्ट है कि कथित अपराध 2014 का है। शिकायतकर्ता ने सितंबर 2022 में अधिकारियों से संपर्क किया था। फिर भी, लगभग तीन साल तक, मान सरकार न्याय के लिए उसकी पुकार पर अंधी और बहरी रही। तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इस विधायक को इतने लंबे समय तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया या उनसे पूछताछ क्यों नहीं की गई?”

बाजवा ने कहा कि यह मामला मान सरकार के बारे में दो परेशान करने वाली सच्चाइयां उजागर करता है। पहला, यह कि वह आम नागरिकों के लिए न्याय के प्रति प्रतिबद्ध नहीं है और दूसरा, यह साबित करता है कि मान अपनी पार्टी के अंदर और बाहर असहमति की आवाजो को दबाने के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा, “यह ईमानदारी की आड़ में असहमति पर दमन है। यह कार्रवाई चुनिंदा है।”

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