दिल्ली के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर गोपाल ने लोगों से अपील की है कि वे बच्चों को स्कूल छोड़ने और लाने के लिए या तो कार पूल करें या फिर दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल करें। दिल्ली में 15 तारीख से ऑड-ईवन लागू है, जिसका मकसद प्रदूषण को कम करना है, लेकिन इससे तो उसमें और बढ़ोतरी होगी। वैसे भी ऑड-ईवन के दूसरे चरण में यह ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि जो लोग कार नहीं ले जा रहे हैं, वे दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। दिल्ली में कारों की तुलना में दोपहिया वाहनों की संख्या दोगुनी है। इसे देखते हुए CSE बाइक्स को भी ऑड-ईवन के दायरे में लाने की वकालत की है।
IIT-कानुपर की ओर से किए गए शोध में दावा किया गया है कि दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण के मामले में ट्रकों के बाद दोपहिया वाहनों (33 प्रतिशत-पार्टिकुलर मेटर) का ही नंबर आता है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (CSE) से जुड़ीं अनुमिता रॉय चौधरी का मानना है कि ऑड-ईवन के दायरे में दोपहिया वाहनों को भी रखा जाना चाहिए, क्योंकि इनकी संख्या बहुत ज्यादा है। अनुमिता का कहना है कि दोपहिया वाहन इस समय बहुत सस्ते हैं। इनकी कॉस्ट और फ्यूल इतना सस्ता है कि बस के किराए से भी कम पड़ता है, इसे बढ़ाना होगा और बस किराए को दुरुस्त करके इनकी संख्या में लगाम लगाई जानी चाहिए।
दिल्ली ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी में 56,81,265 दोपहिया वाहन है। 2012-13 में यह संख्या 46,44,146 थी। इसी प्रकार से दिल्ली में चार पहिया वाहनों की संख्या 27,90,566 है। जो कि पूरे ट्रैफिक 32.51% है, जबकि दोपहिया वाहन कुल ट्रैफिक का 64% है।
मुश्किल यह है कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के पास इस बात के आंकड़े नहीं हैं कि ऑड-ईवन के पहले दौर में कितने दोपहिया वाहन सड़कों पर थे और दूसरे दौर में इनकी संख्या कितनी बढ़ी है। हालांकि, विभाग इतना जरूर मान रहा है कि दोपहिया वाहनों की संख्या में इजाफा हुआ है। 2015 में 3 लाख से ज्यादा दोपहिया वाहन रजिस्टर्ड किए गए। यह आंकड़ा इस साल और बढ़ने की अनुमान है। एक अधिकारी ने बताया कि चारपहिया वाहनों की तुलना में हर साल दोगुने दोपहिया वाहन रजिस्टर्ड किए जाते हैं।
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