अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कहा है कि भारत और अमेरिका को अपनी ऐसी सैन्य प्रौद्योगिकियों में तालमेल बिठाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी, जिनका विकास उन्होंने अलग-अलग किया है। मोरमुगाव पोर्ट ट्रस्ट (एमपीटी) पर ठहरे अमेरिकी पोत यूएसएस ब्लू रिज पर क्रू को संबोधित करते हुए कार्टर ने कहा,‘हमारे पास भारत-अमेरिकी रिश्तों पर काम करने की वजह ऐतिहासिक है। आप याद करें कि भारत का जन्म सात दशक पहले हुआ था और उसकी नीति अमेरिका से जुड़ने वाली नहीं थी।’

कार्टर ने कहा,‘इसका मतलब यह है कि हमारी सेनाएं अलग-अलग विकसित हुईं, हमारी प्रौद्योगिकी प्रणालियां अलग-अलग विकसित हुईं और अब जब हमें उनके साथ मिलकर काम करना है, तो तालमेल बिठाने के लिए कोशिशें करनी होगी । हमें इस पर काम करना होगा। इसलिए मैं यहां हूं, इसलिए आप यहां हैं।’

कार्टर और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सोमवार (11 अप्रैल) पोत का दौरा किया था। यह पोत सोमवार मुंबई से यहां पहुंचा था। भारत के साथ तालमेल बिठाने के अमेरिका के तौर-तरीकों के बाबत कार्टर ने कहा,‘यहां एक देश है। एक अरब लोगों का लोकतंत्र, जहां अलग-अलग विचार देखने को मिलते हैं और सभी का सम्मान होता है।’ उन्होंने कहा,‘यहां एक नागरिक समाज है जहां लोग खुलकर चर्चा और वाद-विवाद करते हैं। भारत में कानून का शासन महत्वपूर्ण है।’

यूएसएस ब्लू रिज पर सवार क्रू की ओर इशारा करते हुए कार्टर ने कहा,‘आप सामरिक अंत:क्रिया की हमारी शैली का प्रतिनिधित्व करते हैं। आप हर किसी के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए दूसरों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। आज यही अमेरिकी रुख है। यह लोगों को हटाने के लिए नहीं है। अमेरिकी शैली सरजमीं की हिफाजत के लिए हमेशा से दूसरों को जोड़ने वाली रही है। इसलिए लोग हमारे साथ काम करना पसंद करते हैं।’