पेड़ों की कटान और नई इमारतों के निर्माण के बीच औद्योगिक महानगर नोएडा के सेक्टर- 115 के पास सौहरखा गांव में आज 70 हजार पेड़ों का एक विशाल शहरी वन स्थापित हो चुका है। करीब छह साल पहले तक यह क्षेत्र वीरान पड़ा था। बाद में इसे शहरी वन में तब्दील करने की मुहिम पर्यावरणकर्मी पीपल बाबा के नेतृत्व में शुरू किया गया था। आसपास में बसी घनी आबादी के लिए यह शुद्ध हवा का बेहतरीन स्रोत है। यहां न केवल नोएडा बल्कि आसपास के इलाकों से लोग छुट्टी के दिन पिकनिक मनाने आते हैं।

गौतमबुद्ध नगर के पूर्व जिलाधिकारी बीएन सिंह बताते हैं कि पहले नोएडा और बाद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल हुए सौहरखा गांव के आसपास के इलाकों में शुरुआत से जमीन को लेकर काफी मारामारी थी। जहां 33 फीसद भू-भाग पर वनस्पतियों के होने को स्वास्थ्यवर्धक बताया जाता है, वहीं इस इलाके में दो फीसद से भी कम भाग पर पेड़-पौधे मौजूद थे।

औद्योगिक विकास और लोगों के आने से यहां की जमीन की कीमतें आसमान छू रही थी और भू-माफिया धीरे-धीरे जमीनों को अपने कब्जे में ले रहे थे। इन सब के बीच आक्सीजन की फैक्ट्री के रूप में घने वन को विकसित करना बेहद चुनौती भरा काम था। इसके लिए गांव के लोगों को जोड़ा गया।

एचसीएल कंपनी की परियोजना अधिकारी निधि से संपर्क कर एक ऐसे विशेषज्ञ को साथ लेने की जरूरत आई, जो मियावाकी पद्धति (जापान आधारित वनरोपण पद्धति) पर घना वन स्थापित कर सके। तब स्वामी प्रेम परिवर्तन उर्फ पीपल बाबा इस मुहिम में शामिल हुए। प्रशासन के सहयोग से यहां सामाजिक वानिकी मुहिम के तहत एक बड़े भू-भाग में घने जंगल के विकास की प्रक्रिया शुरू हुई। जो आज शहर के एक मजबूत फेफड़े के रूप में विकसित हो चुका है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राष्ट्रीय राजधानी के ‘गाजीपुर कचरापट्टी’ पर आग लगने की घटनाओं पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि दिल्ली और अन्य शहरों में ‘डंप साइट’ किसी ‘टाइम बम’ की तरह हैं।

बुधवार को गाजीपुर कचरापट्टी पर भीषण आग लग गई थी तथा 28 मार्च के बाद से इस तरह की यह तीसरी घटना है। इसके बाद आसमान में धुएं का घना गुबार फैल गया तथा आस-पास के इलाकों में पहले से ही प्रदूषित हवा और अधिक प्रदूषित हो गई। पिछले साल अधिकारियों ने गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग लगने की चार घटनाओं की सूचना दी थी। 2017 में इसका एक बड़ा हिस्सा टूट कर सड़क पर गिर गया था, जिससे दो लोगों की मौत हो गई थी।