बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने 10 अप्रैल को जेल नियमावली में एक संशोधन किया है। नियमावली से उस खंड को हटा दिया गया है, जो सरकारी अधिकारियों की हत्या में सजा काट रहे दोषी को ‘अच्छे व्यवहार’ के मद्देनजर रिहाई से रोकता था। बिहार के गृह विभाग ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बिहार जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 (1) ए में संशोधन की जानकारी दी है।
बिहार सरकार के इस नोटिफिकेशन के बाद पूर्व सांसद और हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। वह 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। अब बिहार सरकार की ताजा अधिसूचना के मुताबिक आनंद मोहन सहित 27 कैदियों को जेल से रिहा कर दिया जाएगा। बिहार सरकार के इस फैसले के बाद अब सियासी बवाल भी शुरू हो गया है।
मीडिया से बात करते हुए क्या बोले आनंद मोहन सिंह
फिलहाल आनंद मोहन सिंह बेटे की शादी के लिए 15 दिन की पैरोल पर बाहर हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्होने कहा “मैं यहां समारोह के बाद जेल लौटूंगा और जब रिहाई के आदेश आएंगे, तब मैं आप सभी को बुलाऊंगा।”
मायावती ने कहा ‘पुनर्विचार करे नीतीश सरकार’
बिहार सरकार इस नोटिफिकेशन के बाद नीतीश कुमार पर सवाल उठाते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा ‘आनंद मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम श्री कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है।
चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे। बीजेपी के राज्यसभा सांसद और यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने भी इस मामले को लेकर आपत्ति जताई है।
उन्होंने वीडियो ट्वीट कर राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा बिहार की राजनीति में हमेशा बाहुबलियों का दबदबा रहा है, चाहे सीवान का शहाबुद्दीन हो, जिसने नीतीश कुमार को परिस्थितियों का मुख्यमंत्री कहा था. चाहे वो सूरजभान हो या छोटे सरकार से कुख्यात आनंद सिंह या फिर रामा सिंह, सुनील पांडेय, राजेंद्र तिवारी. उसी में एक नाम आनंद मोहन का है।