उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में शुक्रवार (30 मार्च) को दो मरीजों को कथित तौर पर बिस्तर से बंधा हुआ देखा गया। मरीजों के हाथ और पैर बिस्तर से बांधे गए थे। समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक एक रेल हादसे में घायल हुए दोनों मरीजों को इलाज के लिए मेडीकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। मेडीकल कॉलेज में कथित संवेदनहीनता का यह मामला सामने आने के बाद चीफ मेडीकल ऑफिसर एसएच जैदी ने सफाई दी। जैदी ने मीडिया से कहा- ”उनका (मरीजों का) वरिष्ठ डॉक्टरों के द्वारा इलाज किया जा रहा है। हमारे बिस्तरों में साइड गार्ड्स नहीं हैं। मरीजों के साथ उनके कोई रिश्तेदार नहीं हैं और हमारा स्टाफ पूरे समय वहां नहीं बैठ सकता है। इसलिए हमने उन्हें गिरने से बचाने के लिए बिस्तर से बांध दिया।” खबर लिखे जाने तक मेडीकल कॉलेज में की गई कथित संवेदनहीनता के बाद शासन-प्रशासन की तरफ से किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी।
बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में भी संवेदनहीनता का एक मामला देखा गया था। यहां के जिला अस्पताल में कथित तौर पर एक शख्स के कटे हुए पंजे को उसके दोनों पैरों के बीच में रख दिया गया था। जिले के कोतवाली नगर के करौंदिया रेलवे क्रासिंग के पास मंगलवार (27 मार्च) की शाम एक शख्स ट्रेन की चपेट में आ गया था। हादसे में शख्स का बाएं पैर का पंजा कट गया था। जख्मी शख्स को स्थानीय लोगों ने आनन-फानन में एंबुलेंस बुलाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। लेकिन अस्पताल में स्टाफ ने कथित तौर पर शख्स का कटा हुआ पंजा उसकी दोनों टागों के बीच में रख दिया था। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने वीभत्स तस्वीर को अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद किया तो डॉक्टरों ने पंजे को तुरंत वहां से हटा दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घायल शख्स की पहचान जयसिंहपुर कोतवाली के रवनिया पीढ़ी गांव निवासी अतुल कुमार पाण्डेय के तौर पर हुई थी।
ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के झांसी से सामने आया था। यहां के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के आपातकालीन वार्ड में एक शख्स के कटे पैर को ही उसके सिर के लिए तकिये के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। मानवता को शर्मसार करने वाली वह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को नोटिस तक भेजना पड़ा था।
They are being treated by senior doctors. Our beds don’t have side guards. The patients don’t have any relative with them & our staff can also not sit here all the time. So, we have tied them to the bed to stop them from falling: SH Zaidi, CMO, Jawaharlal Medical College pic.twitter.com/E7sMOSUvLl
— ANI UP (@ANINewsUP) March 31, 2018