लखनऊ में केजीएमयू के दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल पाने वाले डॉक्टर मेघनाथन की संघर्ष गाथा सभी के लिए प्रेरणादायक है। मंगलवार को केजीएमयू के 14वें दीक्षांत समारोह में पीडियाट्रिक्स में गोल्ड मेडल पाने वाले डॉ. मेघनाथ की आंखे संघर्ष के दिनों की बात बताते हुए नम हो गयी। दीक्षांत समारोह में बोलते हुए वो कहते है कि, मुझे पता था की मेरी फीस भरने के लिए और घर खर्च चलाने के लिए माँ को सब्जी बेचनी पड़ रही है लेकिन ये बात उन्होंने कभी मुझे नहीं बताई। जब मै छुट्टियों में घर जाता तो माँ सब्जी बेचने नहीं जाती थी ताकि मुझे पता ना चल जाये।

उन्होंने कहा आज मेरी माँ की तपस्या सफल हो गयी। उन्होंने कहा मैं गांव में माँ के नाम पर बच्चों का अस्पताल खोलकर लोगों की सेवा करना चाहता हूँ। केजीएमयू में इस वर्ष करीब 33 प्रतिशत लड़कों तथा 66 प्रतिशत लड़कों ने मेडल प्राप्त किये।

केजीएमयू के 14 वें दीक्षांत समारोह में 804 छात्र- छत्राओं को उपाधि प्रदान की गयी। गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. मेघनाथ ने बताया कि एमबीबीएस सेकेंड ईयर में पढ़ते हुए, एक सड़क हादसे में पिता जी की मौत हो गयी थी। पिता जी के गुजर जाने के बाद बकौल मेघनाथ, घर में कोई कमाने वाला नहीं था और मेरे पास भी आय का कोई जरिया नहीं था। बीच में ही पढाई छोड़ देने का इरादा कर चुके मेघनाथ को उनकी माँ ने हौसला दिया। माँ ने कहा कि पिता की इच्छा पूरा करो और अच्छे डॉक्टर बनो।

बिना पैसों के मेरी पढाई कैसे होगी ये सब डॉ. मेघनाथ ने माँ की द्रढ़ इच्छाशक्ति और भगवान पर छोड़, पढाई के लिए वापस मेडिकल कॉलेज आ  गए। डॉ मेघनाथ ने अभावों में दिन-रात पढाई की और इस कठिन तपस्या से उन्होंने पीडियाट्रिक्स में गोल्ड मेडल जीतकर अपनी माँ की मेहनत को सफल किया। गोल्ड मेडलिस्ट डॉ मेघनाथ ने तमिलनाडु से एमबीबीएस की पढाई पूरी की थी। उसके बाद केजीएमयू में एडमिशन मिल गया, यही से एमडी की पढाई भी पूरी की।