समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने कहा कि प्रयागराज और कानपुर की हिंसक घटनाओं के बाद जिस तरह की कार्रवाई हो रही है। उस परअफसोस किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी आजाद मुल्क में अपने हम वतनों के साथ ऐसा सलूक अच्छी बात नहीं है। बुलडोजर कहीं सही हो सकता है तो कहीं गलत हो सकता है। डिस्ट्रक्शन से कंस्ट्रक्शन कभी नहीं हो सकता है। इस दौरान उन्होंने कह कि मुझे सीएम योगी से मिलने में डर लगता है।
आजम खान ने कहा कि आज फिर एक नए समाजावाद की जरूरत है। हम चाहते हैं, जो लोग सपा से चले गए या फिर जाने के लिए मजबूर कर दिए गए वो लोग फिर से वापस आएं। पुराने समाजवाद को लाने के लिए कोशिश शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि ये मुलायम सिंह यादव और आजम खान वाली सपा नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि वो सपा फिर से वापस आ जाए।
सपा नेता ने कहा कि अब पूरे प्रदेश में दो उपचुनाव हैं। 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रामपुर की है। उन्होंने कहा कि लंबी लकीर वही है कि हम इस चुनाव को जीत लें तो 50 प्रतिशत के हिस्सेदार हम भी हो जाएंगे।
‘जो मैंने झेला, उसे बताने में कई महीने लग जाएंगे, उस पर कई किताबें लिखी जा सकती है’
27 महीने जेल की सलाखों के पीछे रहने पर आजम खान ने कहा कि उसको बताने के लिए कई महीने होने चाहिए। उस पर कई किताबें लिखी जा सकती हैं और लिखी भी जाएंगी। मैं खुद लिखूंगा। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल लॉ कहता है कि किसी को तनहाई की कैद में तीन महीने से ज्यादा नहीं रखा जा सकता है।
‘जो मुझे सजा मिली, वो अंग्रेज दिया करते थे’
आजम खान ने कहा कि ये कानून इसलिए बदला गया था कि गैर इंसानी कानून था। जब दुनिया गुलाम थी। कहीं राजाओं, बादशाहों और तानाशाहों की हुकूमत थी, इनकी सत्ता को कोई चैलेंज करता था तो उनके साथ बड़े आमानवीय बर्ताव किए जाते थे और इस अमानवीय बर्ताव में सबसे बड़ा अमानवीय बर्ताव यह था कि किसी ऐसे शख्स को जो इंसानों में रहता हो उसे इंसानों से हटाकर बेजान दीवारों के बीच एक 8/11 की कोठरी के बीच बंद कर दिया जाए। वहां 13 और कोठरियां ऐसी ही हों।
सपा नेता ने कहा कि ये वो कोठरियां थीं, जिनमें ब्रिटिश पीरियड में उन लोगों एक या दो दिन के लिए कैद किया जाता था, जो मुजरिम होते थे या फिर आजादी का नारा लगाते थे, क्योंकि वो भी उससे ज्यादा तकलीफ वहां बर्दाश्त नहीं सकते थे। फिर पीछे दरवाजे से निकाल कर उनको फांसी दे दी जाती थी। पहले वो बैरिक्स में रखे जाते थे, लेकिन सिर्फ एक या दो दिन के लिए उन कोठरियों में लाया जाता था। उनके साथ भी वो बर्ताव नहीं हुआ था, जो 27 महीने हमारे साथ हुआ। अपने ही वतन में, अपने ही लोगों के हाथों से। खान ने कहा कि न हम पाकिस्तान के एजेंट थे और न ही देशद्रोही। इतने मुकदमों के बावजूद भ्रष्टाचार का कोई केस नहीं मेरे ऊपर।