समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद चुनाव में कथित तौर पर पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर मुखिया अखिलेश यादव ने पूर्व एमएलसी समेत चार पदाधिकारियों को पार्टी से निकाल दिया है। विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक कैलाश सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया है। इसके अलावा पार्टी पदाधिकारी रमेश यादव, विजय यादव और उपेंद्र यादव को भी पार्टी से बाहर कर दिया गया है।
प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र विधान परिषद जनपद गाजीपुर के चुनाव में समाजवादी पार्टी का विरोध करने पर उपेंद्र यादव, ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि ब्लाक देवकली निवासी ग्राम नैसारा गाजीपुर, विजय यादव पूर्व ब्लाक प्रमुख मरदह/पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि गाजीपुर, रमेश यादव राष्ट्रीय सचिव बाबा साहब वाहिनी तथा श्री कैलाश सिंह पूर्व एमएलसी निवासी औड़ीहार विधान सभा सैदपुर जनपद गाजीपुर को तत्काल प्रभाव से समाजवादी पार्टी से निष्कासित किया जाता है।
उधर, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को पार्टी के सहयोगी अपना दल (के), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के नेता के साथ बैठक की और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की। अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव, जिन्होंने जसवंत नगर से सपा के टिकट से चुनाव लड़ा था, बैठक में मौजूद नहीं थे। यह अटकलें लगायी जा रही हैं कि वह “नाखुश” हैं क्योंकि उन्हें पिछले सप्ताह सपा विधायकों की बैठक में नहीं बुलाया गया था।
बैठक में उपस्थित लोगों में एसबीएसपी नेता ओम प्रकाश राजभर, रालोद नेता राजपाल बाल्यान और अपना दल (के) नेता पल्लवी पटेल शामिल थीं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में सिराथू सीट से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को हराया था। बैठक के बारे में पूछे जाने पर बाल्यान ने कहा, “हमने सदन (विधानसभा) में अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में चर्चा की। हम किसानों और मजदूरों के लिए संघर्ष करना जारी रखेंगे और उनके लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।”
शिवपाल की अनुपस्थिति को तवज्जो नहीं देते हुए एसबीएसपी नेता ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि उनके गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है। इटावा में मौजूद शिवपाल से जब पत्रकारों ने पूछा तो उन्होंने कहा, “मैं कुछ नहीं कहूंगा। अगर मेरे पास साझा करने के लिए कुछ है, तो मैं आपको (मीडिया) फोन करूंगा।” हाल ही में हुए चुनाव में सपा को 111 सीट मिली थीं, जबकि सहयोगी दल रालोद और एसबीएसपी को क्रमश: आठ और छह सीट मिली थीं ।