उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की दो सीटों पर उपचुनाव होना है। सोमवार (1 अगस्त, 2022) को नामांकन के आखिरी दिन भाजपा के दो उम्मीदवार और सपा के उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल किया। भाजपा उम्मीदवारों के नामंकन के दौरान सीएम योगी और दोनों डिप्टी सीएम मौजूद रहे। बता दें, विधान परिषद उपचुनाव के लिए 11 अगस्त को वोट डाले जाएंगे।
नामांकन दाखिल करने के बाद भाजपा प्रत्याशी निर्मला पासवान ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने मेरे ऊपर भरोसा जताया है। मैं उस भरोसे पर खरा उतरने की कोशिश करूंगी। उन्होंने कहा कि दोनों भाजपा प्रत्याशियों की जीत तय है। समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सपा का चरित्र है कि किसी महिला की भावनाओं से खेलना।
निर्मला ने कहा अखिलेश यादव को पता था कि मेरा प्रत्याशी हार जाएगा, उसके बाद भी कीर्ति कोल को प्रत्याशी घोषित कर दिया। मायावती पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मायावती ने बाबा साहब के नाम को भुनाया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी मेरा घर है। अगर किसी ने बाबा साहब के सपने को साकार किया है तो वो भारतीय जनता पार्टी है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह की ओर से नामों की चिट्ठी जारी की गई थी। इसमें पहला नाम धर्मेंद्र सिंह सैंथवार और दूसरा निर्मला पासवान का था। भाजपा ने इन दोनों को विधान परिषद में भेजने का फैसला किया है।
भारतीय जनता पार्टी की ओर से घोषित दोनों उम्मीदवार पूर्वांचल क्षेत्र से आते हैं। यूपी एमएलसी चुनाव में उम्मीदवार बनाए गए धर्मेंद्र सिंह सैंथवार गोरखपुर से आते हैं। वहीं, निर्मला पासवान प्रयागराज क्षेत्र से आती हैं।
कौन हैं धर्मेंद्र सैंथवार-
धर्मेंद्र सिंह सैंथवार का नाम उत्तर प्रदेश के विधान परिषद चुनाव का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद काफी चर्चा में आ गया है। वे गोरखपुर क्षेत्र भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें सीएम योगी आदित्यनाथ का काफी करीबी माना जाता है। क्षेत्र में ओबीसी नेता के रूप में उनकी पहचान है। वह 2001 से 2009 तक पार्टी के महानगर महामंत्री के पद पर रह चुके हैं। 2010 से 2016 तक महानगर अध्यक्ष रहे। 2016 में वह क्षेत्रीय टीम का हिस्सा बने और बतौर मंत्री पार्टी की ओर मिले दायित्वों को निभाया। धर्मेंद्र 1991 से 1998 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रहे। वह इस दौरान परिषद के प्रदेश मंत्री भी रहे।
यूपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं निर्मला पासवान-
निर्मला पासवान उत्तर प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं। वह प्रयागराज से आती हैं। बता दें, प्रयागराज में इस बार भाजपा के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में निर्मला पासवान का नाम आगे कर पार्टी ने एक साथ कई निशाने लगाए हैं। निर्मला पासवान के जरिए पार्टी दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने की कोशिश में है। साथ ही, महिलाओं और प्रयागराज के लोगों को भी संदेश देती दिख रही है।
कौन हैं सपा उम्मीदवार कीर्ति कोल-
कोल समाज के लोगों पार्टी से जोड़े रखने लिए कीर्ति को विधान परिषद का उम्मीदवार बनाया गया है। कीर्ति के पिता स्व. भाई लाल कोल राबर्ट्सगंज सीट से सांसद और छानबे विधानसभा के विधायक रह चुके हैं। पचोखर गांव निवासी भाईलाल कोल 2012 में सपा के सिंबल पर विधायक बने थे। उनकी मौत होने पर पुत्री कीर्ति को समाजवादी पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में छानबे सीट से प्रत्याशी बनाया था।
बता दें, भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए पूर्वांचल पर फोकस कर रही है। भाजपा के दो कद्दावर चेहरे पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल क्षेत्र से ही चुनकर आते हैं।
क्या कहते हैं समीकरण-
विधान परिषद उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के पास संख्या बल नहीं है, हालांकि इसके बाद भी पार्टी ने कीर्ति कोल का नाम आगे बढ़ाया है, जो आदिवासी समाज से ताल्लुक रखती हैं। यहां यह भी बताना जरूरी है कि अगर कीर्ति कोल अपना नामांकन दाखिल नहीं करती तो वोटिंग की स्थिति नहीं होती।
वहीं कीर्ति कोल को समाजवादी ने मैदान में उतारकर एक बड़ा दांव भी खेला है। क्योंकि कीर्ति कोल आदिवासी समुदाय से आती हैं। राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को एनडीए उम्मीदवार घोषित किया। तब भाजपा ने कहा था कि वो आदिवासी, दलित और शोषित की बात करती है, लेकिन अब ऐसे में देखने वाली बात यह भी होगी कि क्या अन्य पार्टियां कीर्ति कोल के लिए वोटिंग करेंगी।
क्यों खाली हुई थीं सीट-
दरअसल, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सदस्य अहमद हसन के निधन और बीजेपी के ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे की वजह से विधान परिषद की दो सीटें रिक्त हो गई थी। चुनाव आयोग ने 18 जुलाई को यूपी की दोनों सीटों पर उपचुनाव करवाने की घोषणा की थी। आयोग की घोषणा के मुताबिक, इन दोनों सीटों पर 25 जुलाई से निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हो गई है और 11 अगस्त को मतदान होगा। उत्तर प्रदेश विधान सभा के आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों का जीतना तय माना जा रहा है।