उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 11 और विधान परिषद की 13 सीटों के द्विवार्षिक आम चुनाव की प्रक्रिया मंगलवार को शुरू हुई। इसके साथ ही राजनीतिक दलों ने अपने ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवारों को जिताने की कवायद भी शुरू कर दी है। प्रमुख सचिव (विधानसभा) प्रदीप दुबे ने बताया, ‘प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लेकिन मंगलवार को कोई नामांकन नहीं दाखिल किया गया।’ जरूरत पड़ने पर विधान परिषद के लिए 10 जून और राज्यसभा के लिए 11 जून को मतदान कराए जाएंगे।

सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा के लिए सात उम्मीदवारों और विधान परिषद के लिए आठ उम्मीदवारों का एलान किया है। मुख्य विपक्षी दल बसपा ने भी राज्यसभा के लिए दो और विधान परिषद के लिए तीन उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। भाजपा और कांग्रेस को अपने उम्मीदवारों के नाम अभी घोषित करने हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 सदस्य हैं, इस लिहाज से राज्यसभा में किसी उम्मीदवार को जीतने के लिए 37 विधायकों और विधान परिषद में 32 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।

आंकड़ों को देखें तो 229 विधायकों के दम पर सपा राज्यसभा के छह और विधान परिषद के सात उम्मीदवार जिताने में सक्षम है। राज्यसभा में सातवें और विधान परिषद में आठवें उम्मीदवार को जितवाने के लिए सपा को अतिरिक्त मतों की जरूरत होगी, जिसके लिए सरगर्मी शुरू हो गई है। सपा ने जो दिग्गज मैदान में उतारे हैं, उनमें कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थामने वाले पार्टी के पुराने नेता बेनी प्रसाद वर्मा और मुलायम के दोस्त अमर सिंह शामिल हैं। अमर सिंह को छह साल के लिए सपा से निष्कासित किया गया है। बसपा के पास 80 विधायक हैं और वह राज्यसभा व विधान परिषद में दो-दो सीटें आसानी से जीत सकती है। सपा को उम्मीद है कि कांग्रेस एक अतिरिक्त सीट के लिए उसका समर्थन करेगी क्योंकि कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और पीएल पुनिया को क्रमश: 2014 और 2015 में राज्यसभा पहुंचने के लिए सपा से समर्थन मिला था।

कांग्रेस अगर अपना उम्मीदवार राज्यसभा के लिए उतारती है तो उसे छह अतिरिक्त वोटों की जरूरत होगी जबकि परिषद सीट के लिए दो अतिरिक्त वोट चाहिए होंगे। राष्ट्रीय लोकदल के आठ विधायक हैं और उसने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। रालोद के राज्य अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने इन खबरों का खंडन किया है कि उनकी पार्टी बसपा उम्मीदवार सतीश चंद्र मिश्र और दलित नेता अशोक सिद्धार्थ का समर्थन करेगी। भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी फिर से राज्यसभा पहुंच सकते हैं जबकि विधान परिषद के लिए हृदय नारायण दीक्षित के नाम का एलान हो सकता है। राज्यसभा और विधानसभा की सीटें क्रमश: चार और छह जुलाई को खाली होने वाली हैं।