जेल से रिहा होने के कुछ दिन बाद डॉक्टर कफील खान ने सोमवार को यहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिए गए खान को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर हाल ही में मथुरा जेल से रिहा किया गया था।
माना जाता है कि बैठक के दौरान, खान ने हिरासत के दौरान और बाद में कांग्रेस द्वारा की गई सहायता तथा समर्थन के लिए प्रियंका गांधी को धन्यवाद दिया। खान की पत्नी और बच्चे भी प्रियंका गांधी से मिले। बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख अजय कुमार लल्लू और पार्टी के राज्य अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख शाहनवाज आलम भी उपस्थित थे। दूसरी तरफ, डॉ. कफील खान ने UN मानवाधिकार विशेषज्ञों के समूह को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि मथुरा जेल में रहने के दौरान उन्हें ‘यातना’ दी गई थी।
खान को पिछले साल सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तारी के उपरांत मथुरा जेल में रखा गया था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों को भेजे गये पत्र में कफील ने जेल में अपने साथ हुये दुर्व्यवहार का जिक्र करते हुए कहा, ”मुझे मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से प्रताड़ित किया जाता था।
उन्होंने लिखा कि कई कई दिन खाना और पानी नहीं दिया जाता था। क्षमता से अधिक कैदियों से भरी जेल में रहने के दौरान मेरे साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था।” खान ने 17 सितंबर को एक पत्र के जरिये संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों को धन्यवाद दिया। यह पत्र उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की 26 जून 2020 की उस चिट्ठी के संदर्भ में लिखा है जिसमें इनलोगों ने भारत सरकार से उन्हें तुरंत रिहा करने की अपील की थी।
यह मानवाधिकार समूह स्वतंत्र विशेषज्ञों का है और इसमें संयुक्त राष्ट्र के कर्मी शामिल नहीं हैं। खान को हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिली थी। खान ने सोमवार को कहा, ”राजनीतिक असंतुष्टों के विरुद्ध बिना किसी सुनवाई के कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून/यूएपीए के लगाना सभी मामलों में निंदनीय है।’
