UP News: उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से में बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी भारी बारिश जारी रही। इसके चलते राज्य में बाढ़ प्रभावित जिलों की संख्या बढ़कर 24 हो गई। एक तरफ राज्य में कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं, तो दूसरी ओर कई शहरी इलाकों में चिंताएं बढ़ गई हैं। राज्य के पूर्वी भाग के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है। यहां के कई ग्रामीण इलाके लगभग एक सप्ताह से बढ़ते जल स्तर से जूझ रहे हैं।
यूपी में भारी बारिश से शुरू हुई स्थिति अब गंभीर संकट बन गई है, क्योंकि गंगा, यमुना और शारदा जैसी प्रमुख नदियां कई क्षेत्रों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे स्थानीय लोग और अधिकारी दोनों चिंतित हैं। कई स्थानों पर नदियां उफान पर हैं और आस-पास के गांवों, खेतों और मुख्य सड़कों पर पानी भर गया है। बाढ़ का पानी सैकड़ों घरों में घुस गया है, जिससे कई परिवारों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित और ऊंचे स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
रातों रात घर छोड़ने पर मजबूर हुए लोग
रातों रात जलस्तर बढ़ने और बाढ़ की वजह से कई लोगों के लिए अपना घर छोड़ना पड़ा। लोग अपने बच्चों, जानवरों और जरूरी सामान के साथ ऊंचे इलाकों की ओर जाने लगे। इसके अलावा सुरक्षित क्षेत्रों पर जाने के लिए लोगों ने छोटी नावों का भी इस्तेमाल किया। लखीमपुर खीरी के किसान तेज लाल निषाद ने कहा कि गांव अब पानी से भरे टापुओं जैसे लग रहे हैं। कृषि भूमि का एक बड़ा हिस्सा पानी में डूबा हुआ है और किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं।
उन्होंने कहा कि कई घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और सड़कों पर खड़ी गाड़ियां बाढ़ के पानी में फंस गई हैं। तेज लाल की पत्नी उमा देवी जिले के फुलेरा ब्लॉक के एक गांव की प्रधान हैं। उनके अनुसार फुलेरा ब्लॉक बाढ़ से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है, मुख्यतः इसलिए क्योंकि शारदा नदी बस्ती से लगभग 400 मीटर की दूरी पर बहती है।
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सरकार से स्थायी समाधान की मांग कर रहे लोग
लखीमपुर खीरी में आने वाला लगभग 6,000 लोगों का यह मुख्य रूप से खेती पर ही निर्भर है और बाढ़ की वजह से पूरी खेती की जमीन जलमग्न हो गई है। तेज लाल निषाद ने कहा कि नदी इतनी नजदीक है कि जलस्तर में मामूली वृद्धि भी पूरे गांव को खतरे में डाल देती है। उन्होंने कहा कि तत्काल राहत उपाय शुरू हो गए हैं लेकिन अब ग्रामीण बेसब्री से पानी के कम होने का इंतज़ार कर रहे हैं ताकि जनजीवन सामान्य हो सके।
तेज लाल निषाद ने कहा कि जल स्तर हर दिन बढ़ रहा है, इसलिए हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह न केवल अस्थायी राहत प्रदान करे, बल्कि दीर्घकालिक समाधान भी प्रदान करे, ताकि अगले साल हमें फिर से ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में भी स्थिति कुछ अलग नहीं थी। यहां भी बाढ़ ने लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।
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बलिया में भी बाढ़ ने किया लोगों को परेशान
बलिया के चंदिया गांव की प्रधान ममता देवी के पति सुमेर यादव ने बताया कि बाढ़ के कारण अब हम गांव में आने-जाने के लिए नावों पर निर्भर हैं। तीन दिन पहले घाघरा और गंगा नदियों का जलस्तर काफ़ी बढ़ने से हमारे गाँव में बाढ़ आ गई थी। उन्होंने कहा कि शुक्र है कि हालात अभी भी नियंत्रण में हैं और लोगों को अभी तक अपने घर नहीं छोड़ने पड़े हैं लेकिन आने वाले दिनों में और अधिक बारिश होने की संभावना है, इसलिए हम उम्मीद कर रहे हैं कि स्थिति और खराब नहीं होगी।
यूपी के कई जिले बाढ़ से प्रभावित
बलिया और लखीमपुर खीरी के अलावा बाढ़ से प्रभावित अन्य जिलों की बात करें तो बिजनौर, बहराईच, गोंडा, बांदा, भदोही, चंदौली, चित्रकूट, इटावा, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, गाजीपुर, गोरखपुर, हमीरपुर, जालौन, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज, मिर्ज़ापुर, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा और औरैया शामिल हैं।
हालांकि मंगलवार से बारिश में कमी के कारण स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। मंगलवार शाम से जलस्तर या तो कम होने लगा है या बिना किसी और वृद्धि के स्थिर बना हुआ है। प्रयागराज नगर पार्षद रंजीव निषाद ने कहा कि बाढ़ का पानी अभी भी मौजूद है, लेकिन पिछले दो दिनों में स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें जलस्तर में धीरे-धीरे गिरावट दिखाई देने लगी है, जो एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, कुंभ मेले के मैदान सहित क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा अभी भी जलमग्न है।
धीरे-धीरे कम हो रहा जलस्तर लेकिन चिंता बरकरार
रंजीव निशाद ने कहा कि एक हफ़्ते पहले जलस्तर में अचानक वृद्धि ने हमारी दिनचर्या पूरी तरह बदल दी। कई परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ा या बेहद मुश्किल हालात में रहना पड़ा है। वाराणसी के सरसौल गांव के पूर्व प्रधान प्रकाश सिंह ने बताया कि गंगा का जलस्तर कम होने के साथ ही उनके गांव की स्थिति धीरे-धीरे सुधरने लगी है।
इस बीच बाढ़ राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी ने कहा कि सरकार ने बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हुए 517 परिवारों में से 360 को वित्तीय सहायता प्रदान की है। गोस्वामी ने कहा कि जलजनित रोगों को फैलने से रोकने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में 2,04,494 क्लोरीन टैबलेट और 1,60,559 ओआरएस पैकेट वितरित किए गए हैं। वर्तमान में, 377 बाढ़ आश्रय स्थलों में 41,842 विस्थापित लोगों को रखा गया है और नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए 901 चिकित्सा दल तैनात हैं। इसके अलावा स्थिति की वास्तविक समय पर निगरानी के लिए 1,348 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं।