उत्तरप्रदेश के वाराणसी में केंद्रीय कारगार में 16 साल से बंद पाकिस्तानी कैदी जलालुद्दीन उर्फ़ जलालु की रविवार को रिहाई हो गयी। कड़ी सुरक्षा के बीच उसे अमृतसर के लिए रवाना कर दिया गया है जहाँ उसे वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान के हवाले कर दिया जायेगा। जलालुद्दीन वाराणसी के केंद्रीय कारागार से अपने साथ श्रीमद्भागवत गीता के साथ इंटर से एमए तक की डिग्रियां भी ले गया। दरअसल, 2001 में जलालुद्दीन वाराणसी के कैंटोनमेंट एरिया में एयरफोर्स ऑफिस के पास से कुछ संदिग्ध दस्तावेजों के साथ रंगे हाथ पकड़ा गया था।
पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के ठट्ठी जिले का रहने वाला जलालुद्दीन एयरफोर्स एरिया के पास गोपनीय दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार किया गया था। उसके पास सैन्य ठिकानों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण स्थानों के नक़्शे बरामद हुए थे। इस मामले में कोर्ट ने उस 33 साल की सश्रम सजा सुनाई थी। अलग-अलग मामलों में 33 साल की सजा पाने के बाद जलालुद्दीन ने उच्च न्यायलय से अपील की उसके सभी मुकदमों को एक कर सजा सुनाई जाये। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई के बाद जलालुद्दीन की सजा 33 साल से घटाकर 16 साल कर दी थी।
हालाँकि 14 अगस्त 2017 को ही सेंट्रल जेल प्रशासन को जलालुद्दीन की रिहाई का आदेश मिल गया था लेकिन उसकी ट्रैवलिंग रिपोर्ट के साथ पाकिस्तान की रिपोर्ट का इन्तजार था। गृह मंत्रालय और पाकिस्तान से मिली रिपोर्ट के बाद कैदी जलालुद्दीन की रिहाई हो सकी। उसे वाघा बॉर्डर से पाकिस्तान भेजा जायेगा। साल 2001 से भारत की जेल में बंद जलालुद्दीन ने पाकिस्तान जाने से पहले लिखा कि उसे अहसास ही नहीं हुआ कि वो हिंदुस्तान की जेल में है। उसे यहाँ परिवार जितना प्यार मिला। जेल प्रशासन से लेकर बंदी तक मेरा ख्याल रखते थे। उसने भारत-पाकिस्तान के साथ आने की उम्मीद जताई।
सेन्ट्रल जेल के जेल अधीक्षक अम्बरीश गौड़ ने बताया कि जलालुद्दीन के संबंध सभी बंदियों के साथ मधुर थे। वो जब इस जेल में आया था तब वह हाईस्कूल ही पास था। जेल में सजा काटते हुए उसने इंटर, बीए और फिर एमए तक की पढाई भी यहीं से की। पोस्ट ग्रैजुएट होने के बाद उसने यहीं से इलेक्ट्रिशियन का कोर्स भी किया था। जेल से जाते हुए उसने अपनी डिग्रियों के अलावा श्रीमद्भागवत गीता ले जाने की इच्छा प्रकट की जिसे जेल प्रशासन ने पूरा किया।