रिटायर्ड सैन्यकर्मी को असम के हिरासत शिविर में रखे जाने पर बुधवार (3 जुलाई) को केंद्र सरकार ने जवाब दिया है। राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने एक लिखित सवाल के जवाब में कहा, ‘सनाउल्ला को हिरासत शिविर में इसलिए रखा गया क्योंकि वह राज्य में विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण के समक्ष इस बात के सबूत रखने में विफल रहे कि वो जन्म से भारतीय हैं।’ केंद्रीय मंत्री ने सदन में कहा कि वो इस बात के सबूत पेश करने में विफल रहे कि 25 मार्च 1971 से पहले भारतीय जमीन से उनका पैतृक संबंध था।
इस अधिनियम के तहत चला मुकदमाः रेड्डी ने कहा, ‘असम में कामरूप जिले के बोको पुलिस थाना क्षेत्र के तहत ग्राम कलाहिकाश के एक सेवानिवृत्त सेनाकर्मी मोहम्मद सनाउल्ला की नागरिकता के बारे में स्थानीय पुलिस द्वारा विदेशी विषयक अधिनियम 1964 के तहत संदर्भ भेजा गया था। संदर्भ प्राप्त होने पर जनपद कामरूप, असम स्थित विदेशी विषयक न्यायाधिकरण ने सनाउल्ला को एक नोटिस जारी किया तथा उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों एवं गवाहों की प्रक्रिया के अनुसार जांच की।’
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने दी थी जमानतः उन्होंने कहा कि उपरोक्त न्यायाधिकरण के निर्णय का अनुसरण करते हुए सनाउल्ला को हिरासत शिविर में रखा गया। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने 7 जून 2019 को सनाउल्ला को जमानत दे दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सनाउल्लाह उस विंग में तैनात थे जो विदेशियों का पता लगाती है। 25 मार्च 1971 के बाद वो असम में ही बस गए थे। पिछले साल जारी हुए एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) में उनका नाम नहीं था, जिसके बाद से उन पर सवाल उठने लगे थे। सनाउल्लाह के चचेरे भाई अजमल हक भी सेना से रिटायर्ड हैं। एक रिटायर्ड सैन्य कर्मी की नागरिकता को लेकर उठे सवाल के बाद असम में खूब हंगामा हुआ था। बता दें कि असम में लंबे समय से एनआरसी को लागू करने की प्रक्रिया चल रही है।