पश्चिम बंगाल का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाएगा। यहां एक शख्स के पास एंबुलेंस के लिए पैसे नहीं थे, जिसकी वजह से उसे अपने पांच महीने के बच्चे के शव को बैग में डालकर 200 किमी का सफर बस से तय करना पड़ा। कालियागंज में उसका घर है और सिलीगुडी से उसके घर तक शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस ने 8000 रुपये मांगे थे, लेकिन इतनी रकम उसके पास नहीं थी। इस वजह से उसे बस से ही बच्चे के शव को लेकर 200 किमी का सफर तय करना पड़ा।

आशीम देबशर्मा प्रवासी मजदूर हैं और पश्चिम बंगाल के मुस्तफानगर ग्राम पंचायत के दंगीपारा गांव में रहते हैं। उनके दो जुड़वा बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। उन्होंने पहले कलियागंज जिला अस्पताल में बच्चों का इलाज करवाया, जहां से उन्हें रायगंज मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया। यहां से फिर उनको नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट के लिए भेज दिया गया। लेकिन बच्चों की हालत में कोई सुधार नजर नहीं आया और आशीम की पत्नी पिछले गुरुवार को एक बच्चे को लेकर घर वापस लौट गई। इसके बाद शनिवार को इलाज के दौरान दूसरे बच्चे की अस्पताल में मृत्यु हो गई।

बच्चे का शव घर वापस ले जाने के लिए आशीम ने नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की एंबुलेंस के लिए बात की तो उन्हें 8000 रुपये भुगतान करने के लिए कहा गया। उनके पास इतने पैसे नहीं थे इसलिए मजबूर होकर उन्हें एक प्राइवेट बस से बच्चे के शव को बैग में डालकर ले जाना पड़ा। पहले वह बस से सिलीगुडी से रायगंज तक गए और उसके बाद कलियागंज अपने घर तक के लिए दूसरी बस ली। कालियागंज के विवेकानंद चौराहे पर पहुंचकर आशीम देबशर्मा ने मदद मांगी और एंबुलेंस का इंतजाम किया।

आशीम देबशर्मा ने कहा, “छह दिनों तक सिलीगुड़ी नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इलाज के बाद मेरे पांच महीने के बेटे की मौत हो गई। इलाज पर मैंने 16000 रुपये खर्च किए।” देबशर्मा ने कहा, “मेरे बच्चे को कालियागंज तक ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक ने 8000 रुपये मांगे, जो मेरे पास नहीं थे।” उन्होंने दावा किया कि एंबुलेंस नहीं मिलने पर उन्होंने शव को एक बैग में डाल लिया और 200 किलोमीटर का सफर बस से तय किया। उन्होंने बताया कि सफर के दौरान यात्रियों को इस बात की भनक नहीं लगने दी कि उनके बैग में बच्चे का शव है। उन्हें डर था कि अगर यात्रियों को पता चल गया तो उन्हें बस से उतार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 102 योजना के तहत एक एंबुलेंस ड्राइवर ने उनसे कहा कि यह सुविधा मरीजों के लिए है न कि शव को ले जाने के लिए।

इस मामले को लेकर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस सरकार की ‘स्वास्थ्य साथी’ बीमा योजना पर सवाल उठाए हैं। वहीं, तृणमूल के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने भाजपा पर एक बच्चे की दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर राजनीति करने का आरोप लगाया।