स्टूडेंट एक्टीविस्ट उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त लहजे में सवाल किया कि क्या देश के प्रधानमंत्री के लिए ‘जुमला’ जैसे शब्द का इस्तेमाल करना ठीक है। कोर्ट ने कहा कि सरकार की आलोचना करते समय ‘लक्ष्मण रेखा’ का ख्याल रखना जरूरी है। इस बात का ध्यान रखें कि आप कैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

उमर के वकील ने बुधवार (27 अप्रैल, 2022) को कोर्ट को अमरावती में दी गई पूरी स्पीच सुनाई। इस पर कोर्ट ने कहा कि भाषण में पीएम के लिए ‘चंगा’ और ‘जुमला’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया, क्या यह उचित है?

कोर्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए खालिद के वकील त्रिदीप पेस ने तर्क दिया कि सरकार की आलोचना करना गलत नहीं है। उन्होंने कहा, “सरकार की आलोचना अपराध नहीं हो सकता। सरकार के खिलाफ बोलने वाले के लिए किसी व्यक्ति को यूएपीए के आरोपों के साथ 583 दिनों तक जेल में रखने की कोई परिकल्पना नहीं है। हम इतने असहिष्णु नहीं हो सकते। इस तरह तो लोग अपनी बात नहीं रख सकेंगे।”

इससे पहले, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने शुक्रवार (22 अप्रैल, 2022) को उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके भाषण को आपत्तिजनक और अप्रिय बताया था। खालिद का भाषण सुनने के बाद पीठ ने कहा, “यह आपत्तिजनक और अप्रिय है। क्या आपको नहीं लगता? जिन भावों का इस्तेमाल किया जा रहा है, क्या आपको नहीं लगता कि ये लोगों को उकसाते हैं? आप कह रहे हैं कि ‘आपके पूर्वज अंग्रेजों की दलाली करते थे’ आपको नहीं लगता कि ऐसी बातें आपत्तिजनक हैं। यह आक्रामक है। यह पहली बार नहीं है जब आपने इस भाषण में ऐसा कहा है। आपने यह कम से कम पांच बार बोला है। इससे ऐसा लग रहा है जैसे यह केवल एक विशेष समुदाय था जिसने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी।”

कोर्ट की यह टिप्पणी खालिद की उस बात पर आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी ने 1920 में अंग्रेजों के खिलाफ एक असहयोग आंदोलन शुरू किया था। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय उन शैक्षणिक संस्थानों में से एक था, जिसे स्थापित करने के लिए गांधी ने अपील की थी। भाषण में खालिद ने आगे कहा कि उसी विश्वविद्यालय को अब गोलियों का सामना करना पड़ रहा है, बदनाम किया गया और उसे देशद्रोहियों का अड्डा बताया गया।

इस पर कोर्ट ने खालिद के वकील से सवाल किया गया कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी आजादी से पहले की है या बाद में स्थापित की गई। जवाब मिला पहले की है। कोर्ट ने पूछा कि हमारे सामने सवाल ये है कि खालिद ने जगह-जगह जो भाषण दिए और उसके बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली में जो दंगे हुए, उनके बीच कोई लिंक है या नहीं? यह स्थापित किया जाए।