विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एमफिल और पीएचडी पात्रता के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने अपने नए निर्देश में महिला और शारीरिक चुनौतियां झेल रहे उम्मीदवारों को ज्यादा सुविधाएं प्रदान की हैं। इसके साथ अहम बात यह है कि आयोग ने 2009 में दिए अपने उस दिशानिर्देश को वापस लिया है जिसके तहत 2009 के पहले जिन्होंने भी अपनी पीएचडी की है उन्हें विश्वविद्यालय या महाविद्यालय स्तर पर शिक्षण कार्य करने के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) या इसके समकक्ष राज्य स्तरीय परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया था। नए दिशानिर्देश में अब उन्हें नेट की परीक्षा पास करने से छूट मिल गई है। वे बिना नेट उत्तीर्ण किए असिस्टेंट प्रोफेसर या समकक्ष पदों के दावेदार हो सकते हैं।
महिला और वैसे उम्मीदवार जो 40 फीसद से ज्यादा विकलांग हैं को एमफिल के लिए एक साल और पीचएडी के लिए दो साल की छूट मिलेगी। आयोग ने महिला शोधार्थियों को मातृत्व अवकाश देने का भी फैसला किया है। एमफिल और पीचएडी करने के दौरान 240 दिनों का मातृत्व या बच्चों की देखरेख के लिए अवकाश दिया जाएगा। इसके साथ ही अगर किसी महिला की शादी हो गई और वह किसी और जगह अपना तबादला चाहती है तो उसे इसकी भी छूट प्रदान की जाएगी। शादी के बाद वह अपने इच्छुक संस्थान में आगे का शोध कर सकती है। इसके साथ ही उसे अपने शोध के आंकड़ों को दूसरे विश्वविद्यालय में स्थानांतरित करने की भी सुविधा होगी। यूजीसी ने 2009 के गाइलाइंस के अनुसार नहीं था, उन्हें नेट करना पड़ता था।