शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया है। इसके बाद भी उद्धव ठाकरे को मुंबई में द्रौपदी मुर्मू के स्वागत कार्यक्रम में निमंत्रण नहीं दिया गया। बता दें कि गुरुवार(14 जुलाई) को बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट ने द्रौपदी मुर्मू का मुंबई में भव्य स्वागत किया। लेकिन इस कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे को नहीं बुलाया गया।
समर्थन के बाद भी उद्धव को नहीं मिला ‘भाव’: बता दें कि उद्धव ठाकरे ने NDA की अपील के बिना द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दिया है। ऐसे में न तो उद्धव ठाकरे और न ही उनके 16 सांसदों को आमंत्रित किया गया। दरअसल शिवसेना सांसदों ने ही उद्धव ठाकरे से अपील की थी कि राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना प्रमुख को एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देना चाहिए।
वहीं द्रौपदी मुर्मू गुरुवार को मुंबई पहुंची। इस दौरान वह राज्य के सभी विधायकों और सांसदों से मुलाकात कर अपने लिए समर्थन मांगा।
पार्टी में दरार रोकने के लिए उठाया कदम: मालूम हो कि उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव के शुरुआत में विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का मन बनाया था। लेकिन बीते मंगलवार को उन्होंने मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया। माना जा रहा है कि पार्टी के भीतर बढ़ती दरार को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
दरअसल पार्टी के भीतर असंतोष के चलते बीते दिन उनकी ही पार्टी के विधायकों के बागी होने पर महाराष्ट्र की एमवीए सरकार गिर गई। पिछले महीने शिवसेना के 55 में से 40 विधायक बागी एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल हो गए थे।
राष्ट्रपति चुनाव: आगामी 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होगा और नतीजा 21 जुलाई को सामने आएगा। इस चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को कई दलों का समर्थन प्राप्त है। आदिवासी महिला के तौर पर द्रौपदी मुर्मू को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। वहीं 15 जुलाई को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने सपा के साथ गठबंधन होने का बावजूद एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया।