Uniform Civil Code: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर बनाई गई कमेटी का काम पूरा हो गया है। जिसके बाद शुक्रवार को कमेटी ने अपना ड्राफ्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया। यूसीसी का ड्रॉफ्ट मिलने के बाद सीएम धामी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “लंबे समय से हमें इस ड्राफ्ट का इंतजार था, आज हमें ड्राफ्ट मिल गया है। हमने उत्तराखंड की जनता से वादा किया था कि नई सरकार के गठन के बाद हम समान नागरिक संहिता के लिए कानून बनाएंगे। इस ड्राफ्ट का परीक्षण करने के बाद जो भी जरूरी औपचारिकताएं हैं उसे पूरा कर, ड्राफ्ट को विधानसभा में पेश कर विधेयक लाएंगे…”
इससे पहले मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक कार्यक्रम में UCC समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने मसौदा समिति के सदस्यों के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को UCC मसौदा रिपोर्ट सौंपी थी। शनिवार को इसे कैबिनेट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार यूसीसी को लेकर 6 फरवरी को विधानसभा सत्र में विधेयक लाएगी। उत्तराखंड का विधानसभा सत्र 5 फरवरी से शुरू हो रहा है। बता दें, पुष्कर सिंह धामी सरकार ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान यूसीसी को लागू करने का वादा किया था।
विधानसभा चुनाव में जीत के बाद पुष्कर सिंह धामी ने राज्य मंत्रिमंडल की पहली बैठक में समान नागरिक संहिता (UCC) को अपनी मंजूरी दी थी। इसके साथ ही सीएम धामी ने 27 मई, 2022 को पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इसको लेकर सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी हमारा विधानसभा चुनाव के दौरान का संकल्प था। इसे पूरा करने के लिए देवभूमि की जनता ने आशीर्वाद दिया। भाजपा सरकार ने जनता से जो वादा किया था, अब उसे पूरा करने जा रहे हैं।
143 बैठकें, 2.31 लाख लोगों से सुझाव
विशेषज्ञ कमेटी ने यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने से पहले 143 बैठक कीं और 2.31 लाख लोगों से सुझाव लिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि यूसीसी को लेकर राज्य की जनता से किए गए वादों को पूरा किया जा रहा है। मालूम हो कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बनाई गई कमेटी का पिछले दिनों कार्यकाल बढ़ाया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री धामी के बाद एक बात साफ है कि उत्तराखंड में जल्द ही यूसीसी लागू हो जाएगा।
समझा जाता है कि रिपोर्ट में लैंगिक समानता और पैतृक संपत्तियों में बेटियों के लिए समान अधिकार पर जोर दिया गया है। हालांकि, यह महिलाओं की विवाह योग्य आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करने का सुझाव नहीं देता है। महिलाओं के लिए विवाह की उम्र 18 वर्ष बरकरार रखने की सिफारिश की गई है।
यूसीसी को लेकर अगला नंबर गुजरात और असम
सूत्रों ने यह भी कहा कि एक बार जब उत्तराखंड विधानसभा यूसीसी को पारित कर देती है तो दो अन्य भाजपा शासित राज्य – गुजरात और असम – कमोबेश इसी तरह का विधेयक विधानसभा में पारित करेंगे। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो आगामी लोकसभा चुनाव से पहले तीन राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी।