सबरीमाला में 44 वर्ष एवं 42 वर्ष की उम्र की दो महिलाओं ने इतिहास रचते हुए बुधवार को तड़के केरल के भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश किया। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘‘यह सच है कि महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश किया।’’ मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद मुख्य पुजारी ने ‘शुद्धिकरण’ समारोह के लिए मंदिर के गर्भ गृह को बंद करने का फैसला किया है। मंदिर को तड़के तीन बजे खोला गया था और ‘शुद्धिकरण’ के लिए उसे सुबह साढे 10 बजे बंद कर दिया गया। मंदिर आमतौर पर अपराह्न साढ़े 12 बजे बंद होता है। ‘शुद्धिकरण’ की प्रक्रिया के कारण श्रद्धालुओं को मंदिर से बाहर जाने को कहा गया है। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद मंदिर को दोपहर बाद खोला जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 28 सितंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 10 वर्ष से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी।
बावजूद इसके इस आयुवर्ग की कोई बच्ची या युवती श्रद्धालुओं एवं दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध के कारण मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थी। माकपा के राज्य सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन ने मीडिया को बताया कि दो महिलाओं ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार मंदिर में प्रवेश किया है और मंदिर बंद करना न्याय के खिलाफ है। बालाकृष्णन ने कहा, ‘‘लोगों को इस बदलाव को वास्तविकता के रूप में स्वीकार करना चाहिए।’’ कहा जा रहा है कि पारंपरिक काले परिधान पहने और सिर ढक कर कनकदुर्गा (44) और बिंदु (42) बुधवार को तड़के तीन बजकर 38 मिनट पर मंदिर पहुंचीं। पुलिस ने विरोध प्रदर्शनों की आशंका के कारण दोनों महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराई है। इससे पहले उन्होंने 24 दिसंबर को भी मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी लेकिन विरोध के कारण उन्हें लौटना पड़ा था।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने सभी आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का आदेश दिया था। जिसे माकपा नीत एलडीएफ सरकार ने लागू करने का फैसला किया है। इसके बाद से मंदिर में 10 से 50 साल आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ और भाजपा इस आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे हैं।