त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ भाजपा का एजेंडा सुशासन पर केंद्रित है। चुनावी अभियानों में पार्टी 5 सालों में किए गए अपने कामों की तुलना 25 सालों में पिछली वामपंथी और कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए कामों से कर रही है। बीजेपी का दावा है कि पांच सालों में सरकार ने अपने वादों को पूरा किया है और जो वादे नहीं किए थे वो भी जनता को दिया। वहीं, विपक्ष कानून व्यवस्था, बेरोजगारी और शासन की कमी को लेकर भाजपा को घेर रहा है।
पिछली बार वाम कुशासन से मुक्ति पर लड़ा था चुनाव
पिछली बार 2018 में वामपंथी सरकार को राज्य की सत्ता से हटाने के लिए भाजपा ने कुशासन का मुद्दा उठाया था। पार्टी ने कर्मचारियों को 7वें केंद्रीय वेतन आयोग के लाभ से कथित रूप से वंचित करने, नौकरियों की कमी और 10,323 स्कूल शिक्षकों की बेरोजगारी को लेकर तत्कालीन सरकार पर सवाल उठाए थे। अब बीजेपी का कहना है कि पांच साल पहले विकास के लिए जो काम करना शुरू किया था उसको जारी रखेंगे। भाजपा प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य ने कहा, “हमारा उद्देश्य लोगों को कुशासन से मुक्त करने के लिए वामपंथी सरकार को हटाना था। अब, हम अपनी विकास गतिविधियों को जारी रखना चाहते हैं जो हमने पांच साल पहले शुरू की थीं।”
चुनावी अभियान में गिनाए 5 सालों में राज्य सरकार के काम
भाजपा के स्टार प्रचारकों ने राज्य में अपने दौरे के दौरान पिछले 5 सालों में अपने द्वारा किए गए कामों पर जोर दिया और इसकी तुलना पिछली वामपंथी और कांग्रेस सरकारों से की है। बीजेपी ने ग्रामीण परिवारों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने, पीएम आवास योजना के तहत आवास लाभ, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड और पिछली वामपंथी सरकार के 25 सालों के प्रदर्शन के साथ पांच वर्षों की उपलब्धियों की तुलना करने के लिए की गई पहलों पर प्रकाश डाल रहे हैं। हालांकि, भाजपा का चुनाव अभियान अभी भी वाम-कांग्रेस की साझेदारी की आलोचना करने और केंद्र सरकार की योजनाओं का श्रेय लेने पर केंद्रित है। मिजोरम के 37,000 ब्रू प्रवासियों के लिए स्थायी बंदोबस्त जैसी कुछ महत्वाकांक्षी पहलों को छोड़कर राज्य सरकार की योजनाओं या परियोजनाओं के बारे में बहुत कम बातें हो रही हैं।
2018 में पार्टी के प्रमुख वादों में दो पत्रकारों की हत्या की सीबीआई जांच का आश्वासन दिया था। इन पत्रकारों की हत्या वामपंथी शासन में हुई थी। इसके अलावा,हर घर को एक रोजगार का अवसर प्रदान करने, स्नातक तक महिलाओं के लिए मुफ्त शिक्षा, राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों के लिए 7वें सीपीसी लाभ, युवाओं को मुफ्त स्मार्टफोन, 2000 रुपये की न्यूनतम मासिक सामाजिक सुरक्षा पेंशन, अनस्किल्ड वर्क के लिए 340 रुपये न्यूनतम मजदूरी, जिनके पास पक्के मकान नहीं हैं, उन्हें आवास की सुविधा, बीपीएल परिवारों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य बीमा और अनुबंधित सरकारी कर्मचारियों का नियमितीकरण देने का भी वादा किया गया है।
नबेंदु भट्टाचार्य ने कहा कि पांच साल में प्रदेश का नजरिया बदला है। लोग अब डर में नहीं रहते हैं और राजनीतिक दलों के किसी भी दबाव को महसूस किए बिना राजनीतिक गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि वाम शासन में स्थिति अलग थी, लोगों को पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता था। चुनावी बिगुल बजने से काफी पहले ही भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में की गई पहलों पर रिपोर्ट कार्ड जारी करना शुरू कर दिया था। इनमें सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण, उद्यमियों के लिए रियायती ऋण, लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा, बढ़ी हुई सामाजिक सुरक्षा पेंशन, गर्भवती महिलाओं के लिए चिकित्सा सुविधाएं, आवास लाभ या किसानों के लिए वित्तीय सहायता जैसी योजनाएं शामिल हैं।