दिल्ली के निजी स्कूलों की नर्सरी कक्षाओं में दाखिले की कतार में खड़े लाखों बच्चों का भविष्य शुक्रवार को आवेदनपत्र की पेटी में कैद हो जाएगा। लेकिन, एक बच्चे के लिए दर्जन भर से ऊपर स्कूलों में आवेदन करने वाले अभिभावक इसे प्रवेश प्रक्रिया नहीं बल्कि किस्मत आजमाइश मान रहे हैं। अभ्यर्थियों की पहली सूची 15 फरवरी को जारी होगी।

एक आकलन के मुताबिक, राजधानी के करीब 2000 निजी स्कूलों में सवा लाख नर्सरी सीटों के लिए लगभग चार लाख आवेदन आते हैं। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित पच्चीस फीसद सीटों के लिए इस साल 50 हजार आवेदनों की उम्मीद है। आवेदन की अंतिम तारीख करीब होने के कारण गुरुवार को अभिभावक स्कूलों के चक्कर लगाते नजर आए, लेकिन किसी के भी चेहरे पर नर्सरी कक्षा में सीट मिलने की निश्चिंतता नहीं दिखी।

पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेस-1 में रहने वाले जी एम सबीर ने अपने बेटे के लिए केवल चार स्कूल में आवेदन किया है। यह पूछे जाने पर कि लोग तो 14-15 स्कूलों में कोशिश कर रहे हैं, तो फिर वे चार स्कूल को लेकर ही कैसे आश्वस्त हैं, सबीर ने कहा, ‘मुझे मालूम है कि सीट नहीं मिलेगी, इसलिए मैंने केवल चार स्कूलों में आवेदन किया है, प्वांइट ही नहीं मिल पाएंगे।

मेरे पहले बच्चे के साथ भी ऐसा ही हुआ था, मयूर विहार और इसके आसपास किसी स्कूल में दाखिला नहीं मिला, उसे नोएडा के स्कूल में एडमिशन दिलवाना पड़ा, इसलिए बेकार के दौड़-भाग से क्या फायदा, बस एक कोशिश करने की रस्म अदायगी कर रहा हूं बाकी किस्मत’। वहीं एक अन्य अभिभावक आलोक अस्थाना 15वें स्कूल का आवेदन भरते नजर आए। उनका भी कहना था कि यह एक जुआ है जो पूरी तरह से किस्मत पर निर्भर है। अस्थाना ने कहा, ‘सारा कुछ इस पर निर्भर है कि मेरिट की सूची कैसे तैयार की जाती है’।

ज्यादातर अभिभावक इस बात पर एकमत थे कि मैनेजमेंट कोटा खत्म किया जाए ताकि सामान्य वर्ग के सीटों की संख्या बढ़े। कई अभिभावक प्रक्रिया की जटिलता से परेशान नजर आए। अपनी बेटी के एडमिशन के लिए पूर्वी दिल्ली के एक स्कूल का फार्म भरने आई रामेश्वरी ने कहा कि वे समय पर सारे डॉक्युमेंट्स नहीं जुटा पार्इं। इसलिए केवल 3-4 स्कूलों में ही आवेदन कर पाई हैं।
अभिभावक संघ के सुमित वोहरा का कहना है कि स्कूलों को मापदंड तय करने की जो छूट दी गई है वह अभिभावकों की परेशानी का सबसे बड़ा कारण है। वोहरा ने कहा कि तमाम सरकारी दावों के बावजूद स्कूलों द्वारा प्रवेश के लिए ऐसे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं जो कि नीति के खिलाफ है, कई स्कूल तो बच्चों का इंटरव्यू ले रहे हैं। वोहरा का कहना है कि कई स्कूलों ने तो स्कूल ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल की शर्त पर पर भी प्वाइंट रखे हैं।

सरकारी स्कूलों की बदहाली के बीच दिल्ली के निजी स्कूलों में नसर्री में प्रवेश की आस लगाए कुछ अभिभावकों को पूरा फरवरी इंतजार करना पड़ सकता है क्योंकि दूसरी सूची 29 फरवरी को जारी होगी, वहीं कइयों का निराश होना निश्चित है। नर्सरी प्रवेश की प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी हो जाएगी।