तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा ने बुधवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट किया, जिसपर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया। पोस्टर में बांग्लादेश के पूर्व निर्वाचन आयुक्त को सुरक्षाकर्मियों द्वारा ले जाया जा रहा है। इस तस्वीर के साथ महुआ ने लिखा, “आने वाले दिनों की झलक।” इसे कथित तौर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने संबंधी विपक्ष के आरोपों के बीच इस टिप्पणी को भारत के निर्वाचन आयोग के लिए एक अप्रत्यक्ष चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है मामला?
महुआ की पोस्ट बांग्लादेश में छात्रों के विरोध के बाद अवामी लीग सरकार के पतन के बाद चुनाव में धांधली के मामले में बांग्लादेश के निर्वाचन अधिकारी की गिरफ्तारी से जुड़ी थी। इस पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और महुआ पर निर्वाचन आयोग के प्रमुख की ‘बांग्लादेश शैली’ में गिरफ्तारी का संकेत देने का आरोप लगाया। ‘एक्स’ पर शेयर की गई इस तस्वीर को मोइत्रा ने ‘आने वाले दिनों की झलक’ के संकेत के रूप में ऐसे समय में पेश किया है। वहीं टीएमसी और इंडिया गठबंधन ने भारत के निर्वाचन आयोग पर लगातार निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग प्रमुख ‘आगामी चुनावों में धांधली करने के लिए केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ मिलीभगत कर रहे हैं।
बीजेपी ने लगाया आरोप
महुआ की पोस्ट पर भाजपा ने तुरंत पलटवार करते हुए दावा किया कि उन्होंने एक संवैधानिक प्राधिकारी को खुली धमकी दी है और एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) कवायद और 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले भय फैलाने में लिप्त हैं। पार्टी नेताओं ने महुआ मोइत्रा पर भारतीय राजनीति में बांग्लादेश जैसी अराजकता लाने का प्रयास करने का आरोप लगाया और मांग की कि निर्वाचन आयोग इस मामले का संज्ञान ले।
भाजपा नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता के विश्वास को कम करने के लिए उकसाने का मामला बताया। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “टीएमसी एसआईआर को लेकर भय फैलाने में लगी हुई है। निर्वाचन आयोग को इस तरह के भड़काऊ और अपमानजनक पोस्ट का संज्ञान लेना चाहिए। यह विडंबना है कि भ्रष्टाचार के आरोप के बाद अपनी संसद सदस्यता गंवाने वाला व्यक्ति दूसरों पर उंगली उठा रहा है।”
महुआ मोइत्रा की दिसंबर 2023 में ‘नकदी लेकर सवाल पूछने’ के मामले में लोकसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। हालांकि अगले साल उसी कृष्णानगर सीट से जीतकर वह लोकसभा में लौट आईं। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने महुआ मोइत्रा का बचाव करते हुए कहा कि उनकी पोस्ट भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के तहत निष्पक्षता का हनन और चुनावी पारदर्शिता को लेकर बढ़ती चिंता को उजागर करती है। अभी तक चुनाव आयोग की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
