पश्चिम बंगाल के अंतिम चरण मतदान में राज्य की दो प्रमुख पार्टी तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी को सीपीआई(एम) से कड़ी टक्कर मिल रही है। अभी तक हुए छह चरणों में दोनों पार्टियों का ध्यान एक दूसरे पर था। लेकिन 1 जून को होने वाले मतदान से पहले दोनों दलों ने वाम दल को निशाने पर लिया है।

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता और उसके आसपास के नौ सीटों में किसी भी सीट पर जीत हासिल करने के लिए खूब मेहनत करना पड़ रहा है। हालांकि उसे कांग्रेस के साथ गठबंधन का लाभ मिलता दिख रहा है। लेकिन सबसे महत्वपूर्व सवाल ये हैं कि अगर सीपीआई(एम) का वोट प्रतिशत बढ़ता है तो वो बीजेपी और टीएमसी में से किसका वोट काटेगी।

हालांकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव की बात करें तो प्रदेश की 42 लोकसभा सीटों में से 22 सीटों पर राज्य की सत्तारूढ़ टीएमसी ने जीत दर्ज की थी तो वहीं भारतीय जनता पार्टी को 16 की बढ़त मिली थी। यानी उसे 18 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि बची दो सीट कांग्रेस के खाते में थी। वहीं 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में वामदल माकपा एक बार खाता नहीं खोल पाई थी।

हिंदू वोटर्स के एकजूट होने की वजह से साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को काफी बढ़त देखने को मिला था। वहीं टीएमसी मुस्लिम वोटर्स को साधने में कामयाब रही थी। जबकि सीपीआई(एम) दोनों ही वोटर्स को साधने में पार्टी पीछे रह गए गई थी। हालांकि वामदल के पारंपरिक वोटर्स एक बार फिर उसको लेकर रुझान बना रहे हैं। इसके संकेत पिछले साल हुए पंचायत चुनाव में देखने को भी मिले थे।

आखिरी चरण में जीत सीटों पर वोटिंग होनी है उसमें दमदम और जादवपुर शामिल है। दोनों लोकसभा सीटों पर साल 2019 के चुनाव में टीएमसी ने जीत दर्ज की थी हालांकि इस बार दोनों ही जगहों पर वहां के प्रत्याशी टीएमसी के साथ ही बीजेपी को भी टक्कर दे रहे हैं। दोनों पार्टियों को इस बात का अंदाजा लगाने में काफी देर भी हुआ कि सीपीआई(एम) इस बार अच्छा प्रदर्शन करने वाली है।

कुछ दिन पहली ही बारासात और बारुईपुर में प्रधानमंत्री की रैली हुई। जहां पीएम मोदी ने कहा कि ममता बनर्जी ने तो पहले ही ऐलान कर दिया है कि चुनाव बाद वो सीपीआई(एम) और इंडिया गठबंधन को सहयोग करेंगी। इसका मतलब साफ है कि पर्दे के पीछे पूरा खेल चल रहा है। सभी पार्टियों की दुकान एक ही जगह से चल रही है। सभी की नुमाइस में एक ही दुकान है।

वहीं राज्य की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने सीपीएम पर हमला बोला। उन्होंने सीपीएम को भाजपा से समझौता करने का आरोप लगाया। दमदम और जाधवपुर में टीएमसी को भारी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।