द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (टेरी) के संस्थापक आरके पचौरी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार (14 मई) को कहा कि यौन उत्पीड़न मामले में उनके खिलाफ मामला आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व सहयोगी का कथित रूप से यौन उत्पीड़न करने और उसका शील भंग करने के मामले में टेरी के पूर्व प्रमुख आरके पचौरी को आरोपी के रूप में शनिवार (14 मई) को तलब किया।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट शिवानी चौहान ने कहा कि अदालत संतुष्ट है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए, 354 बी, 354 डी, 509 और 341 के तहत आरके पचौरी के खिलाफ कार्यवाही आगे बढ़ाने के लिए काफी सामग्री है। दिल्ली पुलिस ने एक मार्च को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए, 354 बी, 354 डी, 509 और 341 के तहत पचौरी के खिलाफ 1400 पन्नों का एक आरोपपत्र दाखिल किया था।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि पचौरी पर आरोप है कि उन्होंने कई अवसरों पर शिकायतकर्ता पर यौन रंजित टिप्पणियां कीं। उन्होंने शिकायतकर्ता की स्पष्ट अस्वीकृति के बावजूद उन्हें गलत तरीके से छुआ। उन्होंने शिकायतकर्ता को अशोभनीय एसएमएस और वाट्सऐप संदेश भेजे। आरोपपत्र में अभियोजन पक्ष के 23 गवाह हैं जिनमें से ज्यादातर टेरी के मौजूदा और पूर्व कर्मी हैं। उल्लेखनीय है कि पचौरी को पिछले साल 21 मार्च को इस मामले में अंतरिम जमानत दी गई थी। पिछले साल 13 फरवरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए, 354 बी, 354 डी, 509 और 341 के तहत पचौरी के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस ने सबूत के तौर पर अभियोजन पक्ष के 23 गवाहों के साथ-साथ पीड़ित और आरोपी के बीच हुए टेक्स्ट, वाट्सऐप और ईमेल संदेश भी पेश किए थे। इन सभी आरोपों के बावजूद टेरी ने फरवरी में एक्जक्यूटिव वाइस चेयरमैन की नई पोस्ट के लिए पचौरी का चुनाव किया था। लेकिन मीडिया में खबर आने के बाद लोगों ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया था। इस कारण नियुक्ति के कुछ ही दिन बाद पचौरी को अनिश्चतकालीन छुट्टी पर भेज दिया गया था।