एलगार परिषद केस मामले में गिरफ्तार पत्रकार और कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने अपने वकील और पारिवारिक सदस्यों को बताया कि खारघर में स्थित एक स्कूल को अस्थाई जेल बनाया गया है, जहां बहुत दुखद स्थिति में कैदियों को रखा जा रहा है। शनिवार को विशेष अदालत से अनुमति मिलने के बाद नवलखा ने अपनी साथी सहबा हुसैन और वकील को फोन पर ये जानकारी दी। नवलखा को पिछले महीने दिल्ली की तिहाड़ से जेल से मुंबई शिफ्ट कर दिया गया। हालांकि तभी से उन्हें स्कूल में बनाई एक अस्थाई जेल में रखा गया है।

कोरोना महामारी के चलते कैदियों को तलोजा केंद्रीय जेल में शिफ्ट करने से पहले क्वारंटाइन किया जा रहा है। सहबा हुसैन ने कहा कि उन्होंने 15 दिन के अंतराल के बाद नवलखा से बात की। उन्होंने बताया कि छः कमरों में महज तीन शौचालयों और सात यूरिनल की सुविधा के साथ 350 कैदियों को रखा गया है। नहाने के लिए वहां सिर्फ एक बाथरूम हैं जहां एक मग और बाल्टी ही है। नवलखा 35 कैदियों के साथ एक कमरा साझा कर रहे हैं।

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सहबा ने कहा कि कई कैदी गलियारे में ताजी हवा तक पहुंच के बिना सो रहे थे और कोविड-19 के डर के कारण भीड़भाड़ के चलते संक्रमण का खतरा बना हुआ था। उन्होंने कहा कि मैं वहां के मौजूदा हालातों के बारे में जानकर उनके स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंचित हूं। ये उनके जैसे राजनीतिक कैदी के साथ अमानवीय व्यवहार है। उन्होंने कहा कि बाहरी दुनिया के बारे में कैदियों को कोई जानकारी भी नहीं दी जा रही है।

बता दें कि पिछले महीने राज्य जेल विभाग ने जेलों में भेजने से पहले नए कैदियों को रखने की क्वारंटाइन की व्यवस्था के रूप में अस्थाई जेल बनाने की मांग की थी। इनमें नए कैदियों को 21 दिन के लिए रखने का निर्णय लिया गया और स्क्रीनिंग की अवधि पूरी होने के बाद उन्हें केंद्रीय जेल में शिफ्ट किया जाना था। मगर 21 दिन की अवधि पूरी होने के बाद भी खारघर स्कूल के कैदियों को केंद्रीय जेल में शिफ्ट नहीं किया गया है।