बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटों के बीच के विवाद का असर चुनावी जंग में साफ नजर आया। परिवार से शुरू होकर आपसी रिश्तों में खटास पर सियासी रंग ऐसा चढ़ा, जिसके उतरना आसान नहीं दिख रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों भाई एक-दूसरे के खिलाफ उतरे। यह विधानसभा चुनाव तेज प्रताप का सियासी कद तय करेगा।

उम्र में छोटे तेजस्वी को महागठबंधन ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है तो राजद से निकाले गए तेजप्रताप ने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (जजद) का गठन कर स्वच्छ राजनीति और सच्ची जन सेवा के इरादे के साथ चुनाव मैदान में हैं। कुछ जगहों पर दोनों भाई आमने-सामने पड़ गए तो दोनों ने मुंह फेर लिया, लेकिन सियासी जंग में दोनों आमने-सामने डटे रहे।

अपनी दादी की फोटो लेकर नामांकन करने पहुंचे थे तेज प्रताप

छोटे भाई ने हर परिवार में एक सरकारी नौकरी, महिलाओं को एकमुश्त 30 हजार के भुगतान का वादा करते हुए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने का भी दावा कर दिया है। 16 अक्तूबर को तेजप्रताप अपनी दिवंगत दादी की तस्वीर के साथ अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे, जहां से उनके सियासी सफर की 2015 में शुरूआत हुई थी। पिछले नामांकन से इतर, तेज प्रताप के साथ इस बार परिवार का कोई सदस्य नहीं था, अकेले पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘मेरी दादी सबसे ऊपर हैं। उनके आशीर्वाद से, हम न केवल महुआ में बल्कि जनशक्ति जनता दल (जजद) की सभी सीटों पर जीत दर्ज करेंगे।

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हाल ही में तेजप्रताप ने प्रचार के दौरान ‘एक्स’ पर लिखा मेरे छोटे भाई नादान हैं, तेजस्वी ने महुआ में जो कहा, पार्टी से बड़ा कोई नहीं होता है, लेकिन हम अपने छोटे भाई को यह कहना चाहेंगे कि पार्टी से बड़ी हमारी जनता, मालिक होती है। महुआ मेरी कर्मभूमि है और यह मेरे लिए पार्टी और परिवार से बढ़कर है। पार्टी केवल एक व्यवस्था है, लेकिन जनता हमारी मालिक है। तेजप्रताप से एक दिन पहले, छोटे भाई तेजस्वी यादव ने लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी व बहन मीसा भारती की मौजूदगी में राघोपुर से अपना नामांकन दाखिल किया था। कभी राजद के पहले परिवार के मुख्य चेहरे रहे दोनों भाइयों के बीच मतभेद अब साफ है। लालू परिवार के लिए यह पहला ऐसा मौका है, जब दोनों भाई-बहन एक साथ चुनाव नहीं लड़ रहे हैं बल्कि उनके अलग-अलग प्रचार ने कई विरोधाभासी संघर्षों को भी दर्शाते रहे।

विवादित तस्वीर की वजह से तेज प्रताप यादव राजद से हुए निष्कासित

राजद के प्रचार के दौरान तेजस्वी ने मतदाताओं से राजद के ’लालटेन’ चुनाव चिन्ह को समर्थन देने की अपील की। खुद को पार्टी के प्रति वफादार बताया और न कहा, पार्टी ही सब कुछ है। अगर पार्टी रहेगी, तो सब कुछ रहेगा। तेजस्वी के लिए राजद और महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर बिहार की बागडोर संभालने का एक मौका मिला, लेकिन दोनों भाइयों के बीच के खींचतान का क्या असर पड़ा, यह परिणाम की घोषणा से साफ होने की उम्मीद है। यह राजनीतिक अस्तित्व के लिए एक अकेली लड़ाई है।

इसी साल मई में तेज प्रताप यादव के सोशलमीडिया हैंडल से एक तस्वीर शेयर की गयी जिसमें वह एक महिला के साथ नजर आ रहे थे। पोस्ट में दावा किया गया कि तेज प्रताप यादव का महिला के साथ पिछले 12 सालों से सम्बन्ध है। कुछ देर बाद ही उस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया। तेज प्रताप यादव ने कहा कि उनका सोशलमीडिया हैंडल हैक कर लिया गया था और वह पोस्ट उन्होंने नहीं की है लेकिन तब तक उन्हें नुकसान हो चुका था।

सोशलमीडिया पोस्ट विवाद के बाद राजद की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि तेज प्रताप यादव को राजद और लालू परिवार से बाहर किया जा रहा है। शुरूआत में तेज प्रताप ने पांच छोटी पार्टियों का गठबंधन बनाया, लेकिन बाद में इसे जनशक्ति जनता दल का नाम देकर खुद को उस पार्टी का अध्यक्ष घोषित किया।