दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को डिजिटल माध्यम से 12वीं की बोर्ड परीक्षा के आयोजन को लेकर दिल्ली के सरकारी और निजी स्कूलों के प्रधानाचार्य, शिक्षकों के साथ विमर्श किया। इसके बाद उपमुख्यमंत्री ने परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों और अभिभावकों से सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर बात की और परीक्षा को लेकर सुझाव मांगे।

इस दौरान सभी अध्यापकों और प्रधानाचार्यों के बीच ये आम सहमति बनी की टीकाकरण के बिना बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन करवाना अध्यापकों और विद्यार्थियों को खतरे में डालना है। अध्यापकों ने इस बात पर जोर दिया कि बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन नहीं होना चाहिए। सोशल मीडिया पर भी विद्यार्थियों ने उपमुख्यमंत्री से बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की। चिंता जताई गई है कि बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है तो परीक्षा केंद्र इन बीमारियों के वाहक बन सकते हैं। विद्यार्थियों की सुरक्षा परीक्षा से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बताई गई और शिक्षकों ने भी छात्रों के सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द छात्रों का टीकाकरण कराने के महत्व पर जोर दिया। बैठक में उपस्थित प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों ने भी बोर्ड से शिक्षकों पर भरोसा करने और वैकल्पिक परीक्षा के लिए उनके सुझावों पर विचार करने का अनुरोध किया। उपमुख्यमंत्री से विद्यार्थियों ने ये भी बोला कि वे मानसिक रूप से परीक्षाओं के लिए तैयार नहीं है।

गौरतलब है कि रविवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल द्वारा राष्ट्रीय स्तर की बैठक बुलाई गई है। उससे पहले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के साथ उनकी राय लेने के लिए प्री-मीटिंग कंसल्टेशन आयोजित किया गया था।

स्कूलों का सुझाव, दसवीं जैसा हो मूल्यांकन
ज्यादातर स्कूलों ने सुझाव दिया कि सीबीएसई द्वारा आयोजित 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को आयोजित न करवाई जाए और उनका मूल्यांकन पूरे साल द्वारा यूनिट टेस्ट, प्री-बोर्ड परीक्षाओं, प्रैक्टिकल, आवधिक परीक्षाओं में किए गए उनके प्रदर्शन के आधार पर हो जैसा कक्षा 10वीं के मूल्यांकन के लिए किया गया है। साथ ही विद्यार्थियों को ये सुविधा भी दी जाए कि यदि वो अपने परिणाम से संतुष्ट नहीं हंै तो आगे कुछ समय बाद परीक्षा दे सकते हैं। अध्यापकों ने ये बात भी रखी कि विद्यार्थी पिछले 12-15 सालों से स्कूल सिस्टम में है उसके बावजूद केवल 12वीं की परीक्षा के आधार पर उनका मूल्यांकन करना कितना वाजिब होगा।