गुजरात में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों और प्रिंसिपल के 32,000 से ज्यादा पद खाली हैं। विधानसभा में बुधवार (29 मार्च, 2023) को बताया गया कि ये खाली पद प्राइमरी, सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी स्कूलों में हैं। शिक्षा परिदृश्य के बारे में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए, शिक्षा मंत्री कुबेर डिंडोर ने विधानसभा को बताया कि दिसंबर 2022 तक शिक्षकों के 29,122 पद और प्रिंसिपल के 3,552 पद गुजराती और इंग्लिश मीडियम सरकारी एवं अर्ध सरकारी स्कूलों में खाली पड़े थे।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि इन 32,674 खाली पदों में से 20,678 पद सरकारी स्कूलों और 11,996 पद सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में हैं। कुल मिलाकर, सरकारी प्राइमरी टीचर्स के 17,500 से अधिक पद खाली पड़े हैं। सिर्फ कच्छ जिले में ही 1,507 रिक्तियां हैं, इसके बाद आदिवासी बहुल दाहोद में 1,152, बनासकांठा में 869, राजकोट में 724 और महिसागर जिले में 692 रिक्तियां हैं।
आंकड़ों से यह भी पता चला है कि गुजरात के 33 में से 14 जिलों में एक भी सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं है और एक भी जिले में कक्षा 9 और 10 के लिए सरकार द्वारा संचालित सेकेंडरी इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं है। इसके अलावा, राज्य में कक्षा 11 और 12 के लिए एक भी सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं है, जबकि 31 जिलों में एक भी सरकारी सहायता प्राप्त इंग्लिश मीडियम सेकेंडरी स्कूल नहीं है।
राज्यों में खाली पद भरने के लिए स्वायत्त शिक्षक भर्ती बोर्ड गठित हों: समिति
संसद की एक समिति ने राज्यों के स्कूलों में शिक्षकों के बड़ी संख्या में रिक्त पदों पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि कई प्रदेशों में इनकी भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है, ऐसे में राज्य स्तर पर एक स्वायत्त शिक्षक भर्ती बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए। संसद में मंगलवार को पेश भारतीय जनता पार्टी सांसद विवेक ठाकुर की अध्यक्षता वाली महिला, बाल विकास, खेल एवं शिक्षा संबंधी स्थायी समिति की स्कूली शिक्षा विभाग एवं उच्च शिक्षा विभाग की अनुदान की मांगों पर रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि राज्य स्तर पर स्कूलों में शिक्षकों के कुल 62,71,380 स्वीकृत पदों की तुलना में 9,86,565 पद खाली हैं। इनमें से प्रारंभिक स्तर पर 7,47,565 पद रिक्त हैं जबकि माध्यमिक स्तर पर 1,46,334 पद और उच्च माध्यमिक स्तर पर 92,666 पद खाली हैं। समिति ने यह सिफारिश की है कि विभाग को नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत परिकल्पित 30 : 1 के छात्र-शिक्षक अनुपात को प्राप्त करने के लिए शिक्षण कर्मियों की रिक्तियों को संबद्ध ढंग से भरने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहित करना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि यह भी देखा गया है कि कई राज्यों में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और बहुत लंबी है।
इसमें कहा गया है कि समिति यह सिफारिश करती है कि राज्य स्तर पर एक स्वायत्त शिक्षक भर्ती बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए जिसकी कुछ शिक्षा समितियों ने भी अनुशंसा की है। उच्च शिक्षा को लेकर समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि उल्लेखनीय सुधार देखने के लिए विभाग, विश्वविद्यालयों, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), आईआईएम, आईआईटी, एनआईटी आदि के तहत प्रमुख संस्थानों में रिक्तियों को समयबद्ध ढंग से और 2023 के अंत तक यथासंभव स्थायी शिक्षकों को भरने की दिशा में हो रही कार्रवाई एवं प्रगति की निगरानी के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया जाए। इसमें कहा गया है कि समिति यह भी सिफारिश करती है कि विशेष भर्ती अभियान भी चलाया जाना चाहिए।